Sunday, November 18, 2012

ज्योतिष शास्त्र का परिचय एवं पाखंड !

     ज्योतिष कहाँ कितना सच हो  सकता है ?

     ( अंक विद्या,क्रिस्टल, प्लेइंग कार्ड,शकुन अपशकुन,दो दो त्योहार होने लगे,ज्योतिष और मौसम!)

   ज्योतिष शब्द का अर्थ ही ज्योति अर्थात् नक्षत्रों ग्रहों की किरणों के प्रकाश से संबंधित है। इसी का या इसके भले बुरे प्रभाव का ज्ञान कराने की विद्या ही ज्योतिष शास्त्र है। वास्तु, शकुन, अपशकुन प्रश्न फल आदि प्राचीन ऋषियों के अनंत अनुभव आदि हैं, जो परंपरा से प्राप्त अक्सर सही एवं सटीक होते देखे गए हैं। 

अंक विद्या

 जहाँ तक अंक विद्या की बात है ये ग्रह ज्योतिष से जुड़ी हुई विद्या है। 9 ग्रह तथा 9 ही अंक होते हैं। इन्हीं का आपस में ताल मेल बैठाकर बिना पढ़े लिखे लोगों द्वारा कुछ तीर तुक्के लगाए जाते हैं जो कभी-कभी सच लगने लगते हैं, किन्तु ग्रहों का स्वरूप, स्वभाव, दृष्टि, दशा आदि  का वृहद् विवेचन तो ज्योतिष शास्त्र से ही किया जा सकता है । इसके अलावा भविष्य जानने की सारी विद्याएँ अधूरी, अज्ञानजन्य, तीर-तुक्के या बकवास हैं । बाकी फिर भी देखी सुनी जा सकती हैं।
    बकवासः 

 लाल, काली, पीली नीली हरी गुलाबी किताब आदि नाम से  किसी प्रमाणित पुस्तक का जिक्र तक ज्योतिष शास्त्र के किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता । विश्वविद्यालयों के ज्योतिष शास्त्रीय पाठ्यक्रम में भी ऐसी कलर फुल किताबें  नहीं सम्मिलित की गई हैं। विद्वानों की वाणी से भी कभी ऐसी किसी पुस्तक का नाम नहीं सुना गया है।कुछ बिना पढ़े लिखे लोगों द्वारा अप्रमाणित बात को प्रमाणित सिद्ध करने के लिए ऐसी कलर वाली किताबें काम में लाई जाती हैं ।ऐसी लाल पीली किताबों  की जानकारी एवं उपाय भी तर्क संगत नहीं होते हैं। 

                         क्रिस्टल, प्लेइंग कार्ड

 आदि की विधाएँ भी कुछ ऐसी ही हैं। संकेत साफ ही है निर्णय आप स्वयं लें ज्योतिर्विद होने के नाते मैं इतना अवश्य कह सकता हूँ कि ये सब विधाएँ न तो ज्योतिष हैं और न ही ज्योतिष से संबंधित।
   
शकुन अपशकुनः 

 बिल्ली के रास्ता काट देने से अशुभ नहीं होता अपितु  अशुभ होना होता है तब बिल्ली रास्ता काटती है। इस प्रकार हर शकुन अपशकुन को केवल सूचक अर्थात् अच्छे बुरे की सूचना देने वाला मानना चाहिए। इसी प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों के फड़कने का फल, स्वप्न का फल, पशु-पक्षियों की बोली एवं चेष्टा (आचरण) आदि का फल जानना चाहिए।
     दो दो त्योहार होने लगेः 

      योग्य और अयोग्य लोगों के द्वारा बनाए गए पंचांग जब दो प्रकार के हो सकते हैं तो त्योहार दो  दिन क्यों नहीं होंगे? ज्योतिष विद्वान और ज्योतिष कलाकर दोनों की जानकारी में अंतर होने के कारण तिथि-त्योहारों में भी अंतर आना स्वाभाविक है। दो दिन होली, दो दिन दिवाली आदि सब त्योहार दो दो दिन होने लगे।
2. ज्योतिष और मौसमः 

ज्योतिष के द्वारा वर्षा, शर्दी, गर्मी, पाला, कोहरा आदि का सटीक अनुमान  लगाया जा सकता है। केवल ग्रहयोगों से आने वाले भूकंपों के बारे में  भविष्यवाणी करने का ज्योतिषशास्त्र  को अधिकार मात्र 25 प्रतिशत ही है। देवताओं के कोप से,वायु के टकराने से,जमीन के अंदर की हलचल से भी भूकंप आते  हैं। जिनकी भविष्यवाणी ज्योतिष से नहीं की  जा सकती।
3. ज्योतिष और राजनीतिः 

ज्योतिष के द्वारा राजनैतिक भविष्यवाणी करना कठिन ही नहीं असंभव भी है। कौन प्रधानमंत्री बनेगा, कौन नहीं बनेगा, कौन चुनाव जीतेगा कौन नहीं जीतेगा आदि।

         इसी प्रकार खेलों के विषय में भी भविष्यवाणी करना असंभव होता है। जो ज्योतिष कलाकार करते रहते हैं उसे मनोरंजन मानकर सुनना चाहिए।
4. ज्योतिष शास्त्र का स्वास्थ्य के साथ गहरा संबंध होने के कारण जन्मपत्री देखकर इस विषय में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है ।
5. ज्योतिष के द्वारा विदेश यात्रा करने की भविष्यवाणी करना तर्क संगत नहीं है क्योंकि पहले पाकिस्तान स्वदेश था आज विदेश है। वैसे ग्रहों के लिए विशाल भूमंडल तिनके के समान है उसमें स्वदेश और विदेश का क्या महत्त्व?
ऐसे अनेकों प्रश्नों शंकाओं के समाधान के लिए आप कर सकते हैं हमारे संस्थान में संपर्क जहाँ मिलेगी आपको सही जानकारी और ले सकेंगे आप शास्त्रों का लाभ ।                              

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

                                                                                                                                             

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