Tuesday, January 29, 2013

Devi path देवी पाठ By Dr.S.N.Vajpayee

                            जयअंबे जयअंबे जयअंबे

जयअंबे जयअंबे  जयअंबे  जयअंबे  जयअंबे  जयअंबे

             राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान 

                                      के    

                        आनुषांगिक संगठन 

                     दुर्गा पूजा प्रचार परिवार   

                        की ओर से प्रकाशित 

            राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान 

                          की ओर से 

                    शास्त्रीय ज्ञानविज्ञान

          को जन जन तक पहुँचाने की पह   

                    अब  दुर्गासप्तशती   भी

              रामचरितमानस एवं सुंदरकांड 

                                की तरह 

                 हिंदी दोहा चौपाई में पढ़िए                         

                            दुर्गा सप्तशती  आदि 


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दुर्गा सप्तशती की मूल पुस्तक संस्कृत भाषा  में होने के कारण जो लोग दुर्गा सप्तशती संस्कृत भाषा  में होने के कारण नहीं पढ़ पाते थे उनकी सुविधा के लिए उसी ग्रंथ का  हिंदी दोहा चौपाई में प्रमाणित अनुवाद किया गया है इसे अब आसानीपूर्वक सुंदरकांड  या राम चरित मानस की तरह पढ़ा जा सकता है।समाज में जो अपराध की भावना बड़ी है जिससे प्राकृतिक विप्लव कहीं बाढ़ कहीं सूखा है।आतंकवाद आदि विपदाओं से बचने के लिए दुर्गा जी की आराधना करनी चाहिए। सामाजिक दुष्प्रवृत्तियाँ एवं विप्लव रोकने में विशेष सहयोग मिलेगा। दुर्गा जी की पूजा सामूहिक रूप से की जाए तो तो बहुत ज्यादा प्रभावी होगी। इसके लिए दुर्गा सप्तशती एवं नवदुर्गा स्तुति हमारे संस्थान से प्रकाशित हैं इनका पाठ अधिक से अधिक करना चाहिए चूँकि दुर्गा सप्तशती की पुस्तक कठिन है संस्कृत  विद्वानों के अलावा और कोई इसका पाठ नहीं कर सकेगा। अशुद्ध पाठ करना नहीं चाहिए। हर कोई विद्वान् ब्राह्मणों से करा नहीं सकताउसके लिए ज्यादा धन की आवश्यकता होती है वैसे भी पूजापाठ स्वयं करना ही अधिक श्रेयस्कर रहता है, उससे पुण्यलाभ के साथ साथ संस्कार सुधरेंगे। यज्ञ यागादि की बात और है।वो तो वैदिक ब्राह्मणों से करानी ही होगी। समाज की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ही संस्कृत दुर्गा सप्तशती का हिन्दी कविता अर्थात दोहा चौपाई में अनुवाद किया गया है। इससे एक अथवा अनेकों स्त्री-पुरुष आदि एक साथ बैठ कर स्वयं ही बड़ी आसानी से संयम पूर्वक हजारों पाठ कर सकते हैं। जिससे परिवार राष्ट्र एवं समाज की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

नवदुर्गा स्तुतिःइसीप्रकार जिनके पास समय का अभाव है उनके लिए नवरात्र के अलग अलग दिनों में पढ़ने के लिए नव देवियों की नव स्तुतियॉं प्रमाणित रूप से हमारे श्री नवदुर्गा स्तुति नामक ग्रंथ में लिखी गई हैं। यह हमारे संस्थान से प्रकाशित है इसका पाठ अधिक से अधिक करना चाहिए। एक तो यह प्रमाणित है दूसरा रामचरित मानस की तरह ही इसका भी पाठ किया जा सकता है। तीसरी सुविधा यह है कि जिनके पास समय नहीं होता है उन्हें नवरात्र के प्रतिदिन भी दिनों के हिसाब से अर्थात नवरात्र के किस दिन में किस देवी का  पाठ कितना करना होता है ?यह जानकारी  भी सबिधि दी गई है। 

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