Thursday, February 28, 2013

ज्योतिषियों एवं साइंटिस्टों की महाबहस का ड्रामा या सच ?

 ज्योतिष शास्त्र का उपहास करते ज्योतिषीऔरमीडिया !
     कुछ टी.वी. चैनल हर तरफ से  हो रहे अपराधों के विरुद्ध बड़ी बेबाकी से आवाज उठा रहे  हैं यह अत्यंत प्रशंसा की बात है।सनातनधर्म से जुड़े मानव मूल्यों को खोजने में बड़ा व्यस्त दिखते  हैं।हिन्दू धर्म एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित सभी बिन्दुओं पर अपनी क्षमताओं के आधार पर पूर्ण समर्पित से   दिखते  हैं। 
    मेरा एक निवेदन जरूर है कि हर विषय में अपराध एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलने वाले ये टी
.वी.चैनल सनातनधर्म से जुड़े शास्त्रीय विषयों एवं धार्मिक विषयों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर न केवल  मौन हैं  अपितु  कुछ मामलों में लगभग सभी  टी.वी. चैनलों को  ऐसे लोगों का साथ देता भी  देखता हूँ ।
    अक्सर
टी.वी.चैनलों पर धर्म के नाम पर अधार्मिक बातों को एवं शास्त्रों के नाम पर अशास्त्रीय झूठ को अपना शास्त्रीय रिसर्च नाम देकर बड़ी निर्लज्जता पूर्वक बड़ी जोरदारी से  लोगों को बोलते  हुए सुना जाता है।कुछ लोग सच समझ कर मान भी लेते हैं। कुछ झूठ फरेब कहकर ज्योतिष शास्त्र एवं विद्वानों की निंदा करने लगते हैं।मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसे अशास्त्रीय झुट्ठों के विरुद्ध कभी किसी टी.वी.चैनल ने  कोई मुहिम चलाने की जरूरत ही नहीं समझी और न ही ऐसे  शास्त्रीय विषयों में किसी टी.वी.चैनल से जन जागरण के लिए कोई स्पष्टीकरण ही दिया जाता है!           
    कई बार मैं टी.वी.पर ज्योतिष के नाम पर मनगढ़ंत अशास्त्रीय भाषण करते किसी को सुनता हूँ लोग शास्त्रों के नाम पर अशास्त्रीय भाषण करके अपने को विद्वान्  सिद्ध करने में भारी भरकम झूठ का सहारा ले रहे होते हैं ।ज्योतिष एवं धर्मशास्त्रों  के विराट ज्ञान सागर को न पढ़ पाने न जानने समझने वाले लोग ऐसे ही आधार हीन ब्यर्थ बकवासी कयास लगाया करते हैं,किन्तु टी.वी.चैनल उनसे उनकी उस शास्त्रीय  विषय की योग्यता जानने के लिए विश्व विद्यालयीय डिग्री प्रमाणपत्र माँगने की जरुरत तक नहीं समझते हैं।वह अज्ञानी व्यक्ति उनके चैनल पर चाहे जितना अशास्त्रीय गंध बक कर चला जाए!
     ज्योतिष आदि धार्मिक विषयों में फर्जी डिग्री वालों पर कोई कानूनी शिकंजा भी नहीं कसा जाता है फिर मैं मीडिया के मित्रों एवं कानून प्रशासन से लेकर समाज के हर वर्ग से कहना चाहता हूँ कि सुधरना हम सबको पड़ेगा हमें किसी जादू की छड़ी की आशा में अब और अधिक समय व्यर्थ में नहीं गँवाना चाहिए ।
ज्योतिष शास्त्र में बी.एच.यू. से हमारी शिक्षा पूर्ण हुई है। ज्योतिष  हमारी पी.एच.डी. की थीसिस से जुड़ा विषय होने के कारण अक्सर लोग हमसे भी अन्धविश्वास से जुड़े  प्रश्न  पूछते हैं ।   
    टी.वी.चैनलों पर ज्योतिषादि विषयों पर अक्सर चल रही बकवास सुनकर भी लोग उनके विषय में हमसे भी प्रश्नोत्तर करना चाहते हैं क्या कहें किसकी क्यों निंदा की जाए?केवल इतना कहा जा सकता है कि आजकल ज्योतिष  बिना पढ़े लिखे बकवासी लोग दिनभर टी.वी.आदि पर बैठकर ज्योतिष  के बिषय में झूठ बोल रहे होते हैं उनका उद्देश्य भी बकवास करके अपने अज्ञान का विज्ञापन करना होता है। 
   मैं सोचता हूँ कि टी.वी.चैनलों का या तो उनसे कोई स्वार्थ होगा या उनका टी.वी.चैनलों से कोई स्वार्थ होगा या फिर ऐसे दोनों लोगों का लक्ष्य ही शास्त्रों का अपमान करना होगा।हो सकता है कि ये लोग अपने शास्त्रीय अज्ञानी होने का बदला ले रहे हों शास्त्रों से!     
      प्राचीनकाल में जिस ज्योतिष विद्या का इतना अधिक महत्व था कि आकाश  में स्थित सूर्य चंद्रमा के ग्रहण उस युग में इसी से तो पता लगा लिए जाते थे तब तो दूरबीन मोबाइल टेलीफोन राकेट आदि की कोई सुविधा नहीं थी। आकाश  स्थित ग्रहों की गति का ज्ञान करने का भी एक मात्र ज्योतिष  ही रास्ता था। एक दूसरे के सुख दुख का पता लगाने का भी एक मात्र ज्योतिष  ही रास्ता था।मंगल ग्रह का रंग लाल है,सूर्यमंडल में गड्ढा है।इसके अलावा भी जीवन से जुड़ी असंख्य जानकारियॉं भी तो ज्योतिष से ही मिलती थीं।ज्योतिष शास्त्र मानव जीवन का   अनंत काल से अभिन्न अंग रहा है।
      वास्तु शास्त्र में किसी भूखंड  को रहने योग्य बनाने के लिए उस जमीन का परीक्षण पहले करना होता था। जमीन के अंदर कहॉं धन गड़ा है।कहॉ कौन हड्डी गड़ी है ।वैसे तो हड्डियॉ सारी जमीन में ही होती हैं किंतु यदि जीवित हड्डी कहीं गड़ी है तो वहॉं रहने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।जिस व्यक्ति की आयु ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से अस्सी वर्ष  हो और वह चालीस वर्ष की उम्र  में आत्महत्या कर ले अथवा उसकी हत्या कर दी जाए तो बचे हुए चालीस वर्ष  उसकी आत्मा को प्रेत योनि में रहना पड़ता है इसी प्रकार उसकी हड्डियॉं उतने वर्षों तक जीवित मानी जाती हैं ऐसी शास्त्र मान्यता है।तो उन्हें वास्तु शास्त्र से पता लगाकर जमीन से निकालकर भूमि शोधन करना होता है।वास्तु के नाम पर भाषण वाजी करने वाला कोई भी व्यक्ति इस तरह कि जानकारी इसलिए नहीं देता है कि यह विषय उसे पता नहीं है।इसमें जनता उसे फॅंसा देगी।

    
      पैसे लेकर गुरू जगद्गुरू, ज्योतिषाचार्य आदि सब कुछ बना देने वाला मीडिया भी इस पाप में अक्सर सम्मिलित रहता है।प्रायः टी.वी.ज्योतिष परिचर्चा या वाद विवाद के लिए रखे गए किसी कार्यक्रम में वैज्ञानिक वगैरह तो कोई पढ़ा लिखा  साइंटिस्ट होता है  किंतु ज्योतिष  का पक्ष रखने के लिए कोई गोबर गणेश लाल पीले कपड़े पहनाकर चंदन आदि लीप पोत कर पूरी तरह भूत बना कर केवल गाली खाने के लिए बैठा लेते हैं,और फिर पत्रकार,दर्शक,साइंटिस्ट आदि पढ़े लिखे  प्रबुद्ध लोग छोड़ दिए जाते हैं उसे नोचने को या उस पर हमला करने के लिए।
      इस प्रकार से मीडिया में  की तथा कराई जाती है सनातन शास्त्रों की छीछालेदर!उस बेचारे तथाकथित  ज्योतिषी की अपनी शास्त्रीय इज्जत तो होती ही नहीं है,ज्योतिष शास्त्र और शास्त्रीय ज्योतिषियों की बेइज्जती जरूर करा रहा होता है।केवल उसे भी लोग ज्योतिषी मानें बस इतने से लालच में!
   पत्रकार चिल्ला चिल्ला कर कह रहा होता है कि ज्योतिषियों एवं साइंटिस्टों की महाबहस!सुनने वाले भी यही समझ रहे होते हैंकि ऐसा ही होगा किंतु याद रखिए कि यदि चैनल के इरादे ही नेक होते तो साइंटिस्ट की तरह ही वहॉं ज्योतिष  का पक्ष रखने के लिए भी किसी संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष  विषय का कोई रीडर प्रोफेसर या ज्योतिष में एम.. पी.एच.डी
.आदि किसी विद्वान को उस बहस में बैठाया जा सकता था तो  वो रख सकते थे ज्योतिष का सशक्त पक्ष ।समाज को समझने का वास्तव में मौका मिलता कि ज्योतिष है क्या?और उसकी सीमाएँ क्या हैं?किंतु इससे ज्योतिष को गाली दिलाने या उसकी आलोचना करने की चैनल की अभिलाषा अधूरी रह जाती, साथ ही ज्योतिष  के बनावटी कागजी शेरों की पोल भी खुल जाती कि उनकी बातों में कितना अधिक झूठ होता है?   

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