Sunday, February 3, 2013

धर्म और ज्योतिष में अपनों को ठगने के लिए इतने आडम्बर !

                 ज्योतिष क्या केवल पाखंड है ?

    फर्जी  ज्योतिषियों  ने अपने को अधिक विद्वान सिद्ध करने के लिए  बहुत सारे फर्जी  आँकड़े  बना रखे होते हैं|जितने भी लोग टी.वी.पर देखो सबका अपना अपना राशिफल होता है सब लोग अलग अलग बिना पूछे ही बोल या बक रहे होते हैं।यह सौ प्रतिशत झूठ होता है क्योंकि शनि ढाई वर्ष में अपनी राशि बदलते हैं, राहु केतु डेढ़ वर्ष में गुरु एक वर्ष में, मंगल,सूर्य,शुक्र,बुध एक से डेढ़ महीने में, चन्द्र सवा दो दिन में अपनी राशि बदलते हैं।आप स्वयं सोचिए कि राशिफल प्रतिदिन कैसे बदल सकता है?फिर विश्व की अरबों लोगों की आवादी को बारह राशि भागों में कैसे बाँटा जा सकता है सबकी अलग अलग परिस्थिति होती है सब पर एक जैसा फलादेश कैसे लागू किया जा सकता है?

       ऐसे लोग समाज के कुछ सफल एवं कुछ असफल  लोगों का नाम रट कर वही  दोहराया करते हैं कि उनके साथ  ऐसा होने  के लिए मैंने पहले ही कहा था।आकाश से पाताल तक तथा स्वदेश से लेकर  विदेश तक में घटी हर घटना के विषय में कहा करते हैं कि ऐसा होगा यह मैंने पहले ही कहा था या लिख कर दिया था ।एक और बात है कि इनका ज्योतिष से कोई लेना देना नहीं होता है फिर भी तीर तुक्का लगा लगा कर बहुत सारे विषयों में बहुत कुछ परस्पर विरोधी भविष्यवाणियाँ लिख लिख कर पैसे के बलपर भिन्न भिन्न अखवारों  मैग्जीनों  में प्रकाशित किया कराया करते हैं जैसे एक ही समय में जिस आदमी के लिए कुछ अखवारों में प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी करेंगे कुछ में न बनने या किसी और के बनने की बात करने लगते हैं ऐसे जितने भी संभावित प्रत्याशी होते हैं सबके विषय में यही करते हैं फिर जो तीर तुक्के सही बैठ जाते हैं उन उन अखवारों  मैग्जीनों  में प्रकाशित लेखों की कटिंग का संग्रह करके लोगों को दिखा दिखाकर अपने सच भविष्य वक्ता होने का ढिंढोरा पीटा करते हैं और जो भविष्यवाणियाँ गलत हो गईं वो भुला दी जाती हैं।जनता इतना ध्यान नहीं देती है इसप्रकार फर्जी झूठे लोग ज्योतिषी या ज्योतिषाचार्य आदि के रूप में प्रतिष्ठित होने लगते हैं।ऐसे  उद्दंड लोग अपने नाम के साथ ज्योतिषाचार्य लिखने भी लगते हैं जब कि उन्होंने की डिग्री नहीं ली होती है जो एम.ए.के सम कक्ष होती है इसलिए यदि परीक्षा पास नहीं की है तो ऐसा करना कानूनन अपराध है।क्योंकि ज्योतिषाचार्य तो ज्योतिष विषय में एम.ए.परीक्षा पास करने पर डिग्री मिलती है किन्तु जिसने ज्योतिष विषय में एम.ए.परीक्षा पास नहीं की है वह अपने को ज्योतिषाचार्य कैसे कह सकता है ?और जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे कानून की दृष्टि से अपराधी हैं।

        एक दिन किसी सभा में ऐसे ही कोई व्यक्ति पहुँचे उन्होंने अपना परिचय ज्योतिषाचार्य कह कर दिया और वही भविष्यवाणियों वाली रद्दी लोगों को दिखाने लगे ।मैंने पूछ दिया कि ज्योतिषाचार्य आपने किस सन में किस विश्वविद्यालय से किया था ?इस पर वे गुस्सा होकर कहने लगे कि जिन्होंने ज्योतिषाचार्य

आदि किया है उनसे अधिक सही और सटीक हमारी भविष्यवाणियाँ होती हैं तो मैं ज्योतिषाचार्य क्यों नहीं लिख या कह सकता ?मैंने उनसे निवेदन किया कि जो परीक्षा आपने पास नहीं की वो डिग्री अपने नाम के साथ लिखने का आपको कोई कानूनन अधिकार नहीं है यह संवैधानिक व्यवस्था है इसका पालन तो करना ही चाहिए। क्रोधित होकर वे वही भविष्यवाणियों वाली रद्दी हमें भी दिखाने लगे तो मैंने उन्हें समझाया कि कोई  कसाई  काटना  चीरना जानता है  इसका यह कतई मतलब नहीं है कि वह सर्जन हो गया इसीप्रकार कोई हथियार चलाना जानने लगे तो इसका यह मतलब नहीं कि वह अपने को सेना का अफसर लिखने लगे यह गलत बात है।भाग्य वशात किसी में यदि इतनी योग्यता होगी  ही तो वो किसी चोर दरवाजे से क्यों घुसेगा सीधे पाठ्यक्रम का सामना क्यों नहीं करेगा ?पुराने जवाने में शिक्षा में डिग्रियों की व्यवस्था नहीं थी किन्तु आज चिकित्सा आदि की तरह ज्योतिष में भी यदि योग्यता निर्धारण के लिए  डिग्रियों का प्रचलन है तो उनका पालन करने में बुराई क्या है ?

         पुराने जवाने में शिक्षा में डिग्रियों की व्यवस्था भले न हो किन्तु राजा लोग उस समय के विद्वानों की समय समय पर भविष्यवाणियों के द्वारा परीक्षा जरूर लिया करते थे इसके बाद उन्हें राजज्योतिषी आदि की उपाधि प्रदान की जाती थी। 

        मेरे यह सब कहने का अभिप्राय मात्र इतना हमें सबको कानून की मर्यादा तो रखनी ही चाहिए इसी में हम सबकी भलाई है।

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

 


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