Thursday, February 28, 2013

धार्मिक जगत का यह लीला विलास !

        धार्मिक मंडियों  में आज सब तरह का माल है! 
    खैर, क्या कहा जाए ये सब पुरानी बातें हो गईं हैं अब तो मार्केट में और अधिक एडवांस माल आ गया है।धार्मिक जगत तो ऐसा फैशनोन्माद एवं अर्थ संचयोन्माद के भव चक्कर में न केवल फँस चुका है अपितु इसका इतना अधिक   शिकार हुआ है कि उसे अपना ही चरित्र ठीक करने का समय नहीं है समाज सुधार का बीड़ा उठावे ही कौन? और किसी की गर्ज क्या है जो इस चक्कर में पड़े?
      यह चित्र किसी अखवारी लेख से ही साभार उठाया गया है क्या इसे समाज में सदाचरण स्थापित रने वाला प्रयास माना जाएगा? जहाँ के बूढ़े ऐसे हों वहाँ के जवान कैसे होंगे ?ये किसी मंदिर का चित्र है जब मंदिरों  में ऐसा तो बसों में वैसा कैसे रोका जा सकेगा?

     यहाँ आधुनिक धार्मिक जगत में भी तो जिन्दा मुर्दा हर इंसान केवल पैसे कमाने में व्यस्त है बाबा समाज भी इससे अछूता नहीं है उसका  समाज के चारित्रिक पतन के पक्ष पर ध्यान ही नहीं जा रहा है।वैराग्य प्रदान करने वाली जो संगीतमय कथाएँ जो आज देखने सुनने को मिल रही हैं ये पहले नहीं होती थीं उन्हें पता था कि जब शरीर का साधारण आपरेशन जब तबला ढोलक बजाते हुए नहीं किया जा सका तो मन का गंभीर आपरेशन जिसमें जन्म जन्मान्तर फँसा हुआ है वह इतनी लापरवाही से कैसे किया जा सकता है और उसके दुष्परिणाम भी समाज पर साफ दिखने लगे हैं।
  आज बाबाओं की स्थिति यह है कि वे धनी और सुन्दर लोगों को मंडलेश्वर या महामंडलेश्वर बनाने पर अमादा हैं वहाँ कौन देख रहा है आज चरित्र, तपस्या, साधना, सदाचरण आदि को !
   जिन बाबाओं के विषय में मीडिया में कैसे कैसे ऊट पटांग वीडियो दिखाए गए  हैं, सारा विश्व समाज   न केवल साक्ष्य अपितु हतप्रभ है!शायद इसीलिए भ्रष्टाचार में पकड़े गए नेता लोग कहा करते हैं कि यदि आरोप सिद्ध हो गए तो हम  संन्यास ले लेंगे। राधे माँ,नित्यानंद टाईप के लोगों का यह सब लीला विलास टी.वी. पर देख सुन कर लोग क्या सोचते होंगे कि संन्यासी और महामंडलेश्वर आदि सब ऐसे लोग ही बनाए जाते होंगे क्या?
    धार्मिक मंडी में ऐसा माल  भी  है जिस दरवार में   किसी का उद्धार गोलगप्पे आइसक्रीम आदि खिलाकर तथा दसबंद माँगकर किया जाता है! 
     एक जगह और  ऐसी ही ट्रेडिंग चलती है ये  उस दसबंद माँगने वाले से  भी चार कदम आगे हैं। यहाँ कुछ लुटे पिटे अभिनेता अभिनेत्रियाँ पकड़कर उनके बल पर भीड़ इकट्ठी की जाती है फिर अपनी प्रशंसा में उनसे कुछ झूठ बोलवाया जाता है और कुछ खुद झूठ बोलकर इस छलहीन सनातनी समाज के सब दुःख दूर करने के मंत्रबीज बोए जाते हैं। ये लोग तो सब कुछ करने का दावा ठोकते हैं ये विदेशों से दंद फंद कर कुछ सम्मान खरीद या माँग लाते हैं फिर धन बल से भारतीय अखवारों के पूरे पेज इन्हीं गपोड़ शंखी बातों से भर दिए जाते हैं।किन्तु ये बेचारे इतने अधिक सम्मानित हैं कि मंत्र को मंत्र कहना अभी तक नहीं सीख पाए,मंतर या बीज मंतर ही बोलते हैं । मन्त्रों के बोलने में तो एक एक मात्रा का भी असर होता है।अब आपही सोचिए जो  मंत्र को मंतर कहते हैं उनके मंत्रों  के अन्दर कितना डालडा होता होगा किसी को क्या पता! खैर किसी का क्या दोष?ऐसे अधर्मी धर्मवान लोग कलियुग के साक्षात् स्वरूप ही माने जा सकते हैं। एक बात तो सच है साहब! शिक्षा,तपस्या आदि तो जो है सो है बल्कि धार्मिक जगत में भी अब आर्थिक उन्माद  जम कर हावी है।किसी ने यदि योग के नाम पर पेट हिलाकर या दिखाकर पैसे पैदा कर लिए हैं तो उसका चेहरा चमक जाता है और वह शिक्षित,तपस्वी,सदाचारी आदि सब कुछ मान लिया जाता है उसकी फोटो बिकने लगती हैं।एक उपदेशक तो इतने छिछले  हैं कि सामाजिक मर्यादा को भूल कर वो  जनता को कुछ भी बका करते हैं और धर्म के नाम पर जनता सब कुछ सहा करती है! धर्म के नाम पर चल रही ऐसी सभी प्रकार की अवारा गर्दी का असर जनता पर स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ने लगा है और बसों में बलात्कार हो रहे हैं। 
   प्राचीनकाल में सनातन धर्म के श्रद्धेय संतों ,तपस्वियों, सदाचारी, सज्जनों, विद्वानों आदि ने  जो  छाप  समाज  पर छोड़ी थी यद्यपि उसका असर अभी  भी समाज पर है किन्तु यदि पाखंड अधिक बढ़ ही गया तो आधुनिक पीढ़ी में वे प्राचीन संस्कार कहाँ तक दम बाँधेंगे?
       मुझे अभी भी भरोसा है कि हमारे शास्त्रीय संत एवं विद्वान् मिलकर कोई मध्यम मार्ग निकालकर युवा पीढ़ी में सनातन शास्त्रीय संस्कारों का सृजन करेंगे जिससे युवाओं में पनप रही आपराधिक प्रवृत्ति पर न केवल लगाम लगेगी अपितु बहन बेटियों का सम्मान सुरक्षित होगा देश अपने  अतीत के गौरव को पुनः प्राप्त करेगा ।
 

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।




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