Sunday, February 24, 2013

श्री राम सेतु के तैरते पत्थर आज भी नल नील की याद दिलाते हैं

    सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच से जहाजों के गुजरने के लिए रामसेतु को पार करते हुए 30 मीटर चौड़े 12 मीटर गहरे और 167 किलोमीटर लंबे रास्ते की खुदाई करनी है।

     इस विषय में सरकार के द्वारा यह तर्क दिया जाना ठीक नहीं है कि रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं है।रामसेतु भगवान श्री राम से जुड़ा है और इस धार्मिक महत्व के कारण उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए और न ही तोड़ा जाएगा जब तक सनातन धर्मी श्रीराम भक्त जीवित हैं।

     आखिर श्रीरामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग कैसे नहीं है?नेहरूस्टेडियम, राजीवगाँधी स्टेडियम, गाँधी नगर ,अम्बेडकर स्टेडियम आदि सम्बंधित  लोगों ने बनाए तो  नहीं हैं फिर भी ऐसे स्थान इन लोगों के नाम से ही जाने माने जा रहे हैं। वहाँ तो प्रभु श्री राम ने स्वयं इस धर्म सेतु का निर्माण किया था इसलिए यह हिन्दुओं के हृदय और प्राणों का प्रश्न  है यह कैसे कोई हिन्दू भूल जाएगा?यह सेतु श्री राम के द्वारा ही निर्मित है यह इससे भी प्रमाणित है क्योंकि नल और नील के स्पर्श किए हुए पत्थर पानी पर तैरते थे जो अभी भी पानी  पर तैर रहे हैं। ये सारा संसार अभी भी देख सकता है। 

     

भगवान श्री राम ने स्वयं कहा था कि भविष्य में भारत पर शासन करने वाले राजाओ याद रखना कि इस धर्मसेतु का भारतीय संस्कृति पर बहुत बड़ा ऋण है इस लिए मैं आप सबसे नतमस्तक होकर याचना करता हूँ अर्थात भीख माँगता हूँ कि अपना तन मन धन न्योछावर करके भी आप लोग इस धर्म सेतु की रक्षा करना !  

भूयो भूयो भाविनो भूमिपालान्

                                  नत्वायं    याचते  रामचन्द्रः।

सामान्योयं धर्मसेतुर्नराणां 

                              काले काले  पालनीयो  भवद्भिः ||

                                                      - स्कन्ध पुराण 

 

   एक बार इस परियोजना से संबंधित अपना हलफनामा वापस ले चुकी केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश नए शपथपत्र में कहा है कि इस धार्मिक विश्वास की पुष्टि नहीं हो सकी है कि भगवान राम ने इस सेतु को श्रीलंका से लौटते समय तोड़ा था और फिर किसी तोड़ी गई चीज की पूजा नहीं की जाती। सरकार ने यह भी तर्क दिया है। 

      इस विषय में  सरकार से मेरा निवेदन मात्र इतना है कि श्री राम ने  इस सेतु को श्रीलंका से लौटते समय तोड़ा था। इस बात के शास्त्र में पूर्ण प्रमाण हैं सरकार जब जहाँ चाहे उपस्थित किए जा सकते हैं। सरकार एक बार आदेश तो करके देखे।

     सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि किसी तोड़ी गई चीज की पूजा नहीं की जाती है। जिन चीजों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है उनके खंडित होने पर इस तरह का विचार करना होता है किन्तु जो स्वयं प्राणवान हैं उनके खंडित होने पर ये धारणा नहीं रखनी चाहिए 

     प्राणवान माता पिता आदि यदि किसी प्रकार से घायल हो जाएँ तो उन्हें खंडित समझ कर क्या उनका विसर्जन कर देना चाहिए ?ये तर्क स्वयं में तर्क संगत नहीं हैं। सरकार  सनातन धर्म के आकर ग्रंथों को आधार बनाकर फैसला ले जिसमें श्री राम ने  इस सेतु

 का खंडन कदापि स्वीकार्य नहीं है।

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श्री राम एवं राम सेतु२१लाख१५हजार१०८ वर्ष प्राचीन

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