Sunday, March 3, 2013

नरेंद्रमोदी और प्रधानमंत्रीपद

                  ज्योतिष और भाजपा 

  जैसे ग्निवेश, न्ना हजारे, मित त्रिवेदी आदि से किनारा करके आए रविन्द केजरीवाल यहाँ भी एक और से जूझना पड़ा।  ये है म आदमी पार्टी। जब से इस पार्टी नामकरण रविन्द केजरीवाल के नामके पहले अक्षर से मिलता जुलता हुआ है तब से रविन्द केजरीवाल की गुडबिल दिनों दिन गड़बड़ाती जा रही है। केवल पार्टी के नामकरण का ये दुष्प्रभाव है।   

   इसीप्रकार केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात परिवर्तन पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में या गुजरात  की सम्पूर्ण राजनीति में गुजरात परिवर्तन पार्टी  के   तत्वावधान  में जो कमर कसी है वो उनके लिए किसी भी प्रकार से  गुजरात में लाभप्रद नहीं रही और नरेंद्र मोदी जी सभी दलों पर अपनी बढ़त बनाने में सफल होते दिखे।

  गुजरात परिवर्तन पार्टी का गुजरात  में जो हुआ ज्योतिषीय दृष्टि से भाजपा का भारतवर्ष  में वही स्वरूप है इसीलिए जिन परिस्थितियों में अटल जी के समय  राजग का गठन करना पड़ा था।अतएव  आज भी सत्ता में आने के लिए राजग को बनाए या बचाए रखना भाजपा की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।अन्यथा जैसे दिल्ली भाजपा  के  चार विजयों(विजयेंद्र   विजयजोली  विजयकुमारमल्होत्रा  विजयगोयलआदि )के पार्टी में एक साथ काम करने से काँग्रेस को फायदा पहुँच रहा है और शीला दीक्षित जी अपनी पीठ थपथपाए जा रही हैं। 

    जैसे माभारती-  त्तर प्रदेश से खाली हाथ लौटीं। यही परिस्थिति केंद्र के भाजपा और  भारतवर्ष में बनती है यही कारण है कि केंद्र की काँग्रेस सरकार भी अच्छा कुछ किए बिना ही अपनी पीठ थपथपाए जा रही है 

   आज देश गंभीर घोटालों एवं महँगाई आदि का सामना कर रहा है। केंद्र की काँग्रेस सरकार को आज भी अपने बलबूते सरकार में आने का भरोसा हो या न हो किन्तु भाजपा की सरकार नहीं बनेगी इसका उसे विश्वास है।मुख्य विपक्षी दल भाजपा  और भारत का  यह तालमेल जहाँ भाजपा के लिए हानिकर है इसलिए काँग्रेस के लिए सफलता प्रद है अन्यथा काँग्रेस के काल्पनिक नेतृत्व के बस की बात नहीं थी कि वो सरकार बना लेते जबकि उन्होंने तो दस वर्ष से सरकार दौड़ा रखी है।  

    अतः काँग्रेस को रोकने के लिए राजग मजबूत बनाए रखना भाजपा के लिए बहुत आवश्यक है। राजग की सुरक्षा के लिए रेंद्रमोदी-नितीशकुमार-नितिनगडकरी इन तीनका आमने सामने होना

राजग का खेल बिगाड़ सकता है। इसलिए इनमें सामंजस्य बनाए रखना बहुत आवश्यक है ।   

         जब किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा -पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है। 

जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि। इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।
   कलराजमिश्र-कल्याण सिंह  

   ओबामा-ओसामा   

   अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी


  नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी 

  परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान 

  लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद

  भाजपा-भारतवर्ष  

 मनमोहन-ममता-मायावती    

 उमाभारती -   उत्तर प्रदेश 
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव 

 अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन 

नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी  

प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन  अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी-अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी

    इसी प्रकार से दिल्ली भाजपा  के  चार विजय

                                  विजयेंद्र-विजयजोली

              विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल
   इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए लगता है कि
भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्य दलों के लोग  पहले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं ।जिनका व्यक्तित्व भी अटल जी जैसा नहीं था फिर भी सरकार बनाने में सबसे अधिक कठिनाई भाजपा को ही हुई आखिर अन्य  कारण भी  रहे  होंगे किन्तु ज्योतिष  की यह एक विधा भी महत्त्व पूर्ण कारण कही जा सकती है ।

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

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