Wednesday, July 10, 2013

जिस पर मीडिया मेहरबान ,उसके लिए सब कुछ आसान !

          यह  प्यार की बहारों बौछारों का समय है

  अब तो प्यार की बयार सी  बह रही है कोई कहीं करे लेकिन प्यार करे।ये भाई चारा टाइप का वो दकिया नूसी पुराना सड़ा गला प्यार नहीं अपितु विदेशों से आया हुआ इम्पोर्टेड आधुनिक प्यार करे ! किसी उम्र में किसी स्थान में करे बस या मैट्रो ट्रेन में कहीं भी करे,बच्चा बूढ़ा या जवान स्त्री पुरुष,स्त्री-स्त्री,पुरुष-पुरुष आदि कोई भी करे परन्तु उम्र,जाति,लिंग,धर्म ,समुदाय, संप्रदाय आदि निरपेक्ष हो तो और अच्छा है क्योंकि हम लोग तो निरपेक्षता  प्रिय हैं और हैं भी धर्म निरपेक्ष!
     सम्माननीय मध्य प्रदेश के मंत्री जी ने तो इन सारी संकीर्णताओं से ऊपर उठकर उम्र,जाति,लिंग,धर्म ,समुदाय, संप्रदाय आदि से पूरी तरह निरपेक्ष होकर प्यार करने का साहसिक कार्य किया है किसी को बुरा लगे तो लगे जिसे जो अच्छा लगता है वो करता है उन्हें जो अच्छा लगा उन्होंने भी किया है। हो सकता है कि कुछ लोगों को बुरा लगा हो उसमें मैं भी क्यों न होऊँ! हमें भी अपने को महादेव नहीं समझना चाहिए कि हमें खुश करके ही कोई प्यार करे जैसे हर कोई स्वतन्त्र है वैसे ही माननीय  अब के भूत पूर्व मंत्री जी भी स्वतन्त्र हैं! 
   खैर,मैं भी अपना निजी विचार प्रकट करने के लिए स्वतन्त्र हूँ।मैं  भी अपना काम कर रहा हूँ- वर्तमान समय की प्यार करने की भावना ही इतनी अधिक दूषित हो गई है कि वही भावना व्यक्ति को बलात्कारों की ओर ले जाती है।आज के युग का सबसे गंदा शब्द प्यार ही है जिसकी आड़ में कोई भी व्यक्ति सेक्स संबंधी  अपने सारे पाप को न केवल पवित्र मान लेता है अपितु अपनी इस तथा कथित धर्म भावना की रक्षा के लिए वह बहुत प्रकार के अपराध करता है।
       बन्धुवर ,यह युग अपनों को अपनों से अलग कर रहा है माता-पिता, भाई-भाई, पति-पत्नी आदि के पवित्र संबंधों पर संकट के बादल छाए हुए हैं तो  परायों से कौन करेगा प्यार ?यह तो सेक्स ही है जिसके बिना रहना कठिन हो रहा है अपनों से पटरी खा नहीं रही है शादी होते ही तलाक की डिमांड बढ़ती जा रही है।इसलिए सेक्स के अभाव में बिलबिलाते फिर रहे सेक्स के लिए समर्पित लोग अपनी सेक्स भावना छिपाए फिरते लोग अपने को प्रेमी कहने समझने लगते हैं।वास्तव में यदि ये प्रेमी होते या इनका प्रेम पवित्र होता तो इनका सबसे समान प्रेम होता किन्तु माता पिता से छिप कर या बगावत करके किया जाने वाला यह कैसा प्रेम?उनकी सहमति से होता तो और बात थी !
   समाज के हर वर्ग में ऐसे प्रेमी लोग हैं,बड़े बड़े धार्मिक लोग भी ऐसे प्रेम के पुजारी हैं।ऐसे लोग श्री राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम को भी अपनी ही तरह का कलुषित प्रेम सिद्ध करने की हमेशा जुगत भिड़ाया करते हैं।  बड़ी मुश्किल से कुछ नेताओं एवं कुछ बाबाओं को प्रेम पूजा के चक्कर में पकड़ा जा सका है जो पकड़ गए उन्हें असफल प्रेमी कहा जा सकता है या यूँ कह लिया जाए कि उन पर अत्याचार हो रहा है!वैसे तो अपने समुदाय में वो प्रेम के रण में शहीद हुए एक योद्धा के समान माने जाएँगे !जो छल ,फरेब ,झूठ या लालच देकर अपने पाप छिपाने में सफल हो जाते हैं ऐसे चालाक लोग सफल प्रेमी कहलाते हैं।
    मीडिया में भी ऐसे असंख्य लोग हैं जो इस प्रकार के प्रेम नाम के पाप को रोकने वाली पुलिस की आलोचना करते देखे जा सकते हैं,पुलिस कीकार्यवाही को प्यार पर पहरा न केवल कहते हैं अपितु ऐसे चीखते चिल्लाते हैं जैसे देश के विकास की बहुत मोटी कोई जड़ हाथ लग गई हो जिसे वो अकेले खींच न पा रहे हों मानों समाज से मदद के लिए चिल्ला रहे हों!वारे पत्रकार बन्धुओ !वास्तव में इस समाज का भगवान ही मालिक है किन्तु मैं एक बात तो मीडिया से  पूछना ही चाहता हूँ कि अब म.प्र. के मंत्री श्री राघव जी के प्यार पर  आपका पहरा क्यों?
     महोदय, यह प्यार चीज ही ऐसी है,ऐसे तथाकथित प्यार के शौक़ीन लोग अपनी प्यार नाम की दिमागी दुर्गन्ध को बेधड़क होकर फैला रहे हैं समाज में!       
       दिल्ली की मैट्रो हो या पार्क पार्किंग या कूड़ा दान हों यह तो प्यार है यह किसी के रोके कहाँ रुकता है! किसी को लेट्रीन या पेशाब लगा हो तो कौन रोक लेता है? फिर यह तो प्यार है!किसी को जब लेट्रीन लगती है तो शौचालय और पेशाब लगती है तो यूरिनल  ढूंढता है और जब प्यार लगता है तो प्यार पॉट !!!अंतर इतना है कि इस प्यार पॉट की तलाश करने वाले को लोग प्रेमी कहते हैं किन्तु ध्यान रहे कि शौचालय,यूरिनल या प्यार पॉट किसी को तभी तक अच्छे लगते हैं जब तक अपनी ज़रूरत होती है इसके बाद सबको इनसे दुर्गंध आने लगती है! यहाँ शौचालय और यूरिनल तो इस सच्चाई को समझते हैं किन्तु थोड़ी सी नासमझी के कारण बेचारे प्यार पॉट !!! किसी को क्या कहा जाए ?
     इस प्रेम को करने और सहने वाले सभी सफल लोग पहले तो प्रेमी  ही होते हैं और जब आपस में खटपट हुई या दिए हुए आश्वासन को पूरा न कर सके तो बलात्कारी हो  जाते हैं। बेचारे मध्य प्रदेश के मंत्री जी के यहाँ भी वही है आखिर इतने लंबे समय तक ऐसा अत्याचार सहने वाला कोई लड़का या लड़की अब तक शांत क्यों रहा ?क्या चुनावों के समय की प्रतीक्षा करता रहा?यदि इसका कारण सत्ता भय माना जाए तो मंत्री तो वो अभी भी थे!आज इस रहस्य से पर्दा उठाना उसे क्यों और कैसे अनुकूल लगा ?खैर,यह तो जाँच का विषय है जो कानून का काम है कानून अपना काम करेगा।हम लोग तो अनुमान ही लगा सकते हैं जो सच हो भी सकते हैं नहीं भी !   
     खैर, अब पहले तो मीडिया के लोग ही आपस में यह निर्णय कर लें कि होना क्या चाहिए यह प्यार चले या बंद किया जाए! क्योंकि टी.आर.पी. के चक्कर में हर परिस्थिति में इन्हें ही चीखना चिल्लाना है !
     वैसे तो बलात्कार नामक पाप की प्रेम नाम की प्रारंभिक प्रक्रिया को लड़के लड़कियों के जोड़े बड़े स्नेह से एक धार्मिक कर्मकांड की तरह मिलजुल कर प्रेम पूर्वक संपन्न करते हैं।इसे सफलता पूर्वक निभाने के लिए जो बेशर्मी करनी पड़ती है उसकी हद यह होती है कि पर्किंगों,कूड़ेदानों तक के पास  भी प्रेम पूर्वक चिपक जाते हैं ये लोग! ऐसे प्रकरणों में लड़कियाँ भी ख़ुशी ख़ुशी चिपकी होती हैं!इनकी भी मनो दशा को ध्यान में रखना होगा जब मोटर साइकिलों में रुमाल या दुपट्टे से मुख ढके चिपकी बैठी लड़कियाँ चलती मोटर साइकिलों में क्या कुछ शरारत नहीं कर रही होती हैं किन्तु मुख ढकने के कारण पहचान तो होनी नहीं है देख कर भी क्या कर लेगा कोई?

     दिल्ली मैट्रो से आई तस्वीरों ने समाज की आखें खोलने का काम किया है और इन्हें लाकर  कटघरे में खड़ा  कर दिया है समाज में अश्लीलता फैलाने वाले  समान सहभागी वास्तविक  दोषी लड़के लड़कियों को !ऐसे प्रकरणों में महिला सुरक्षा पर सोचना ही क्यों और कैसे ?जब सहभागी दोनों होते हैं?इन बातों में क्यों पुलिस प्रशासन का समय बर्बाद करना और क्यों समाज का?कोई किसी को चूम न ले छू न ले छेड़ न दे बस पुलिस प्रशासन के पास इतना  ही काम बचा है कि इन्हें ही रखावे!वैसे भी ये सब तब रोका जा सकता है जब समाज भी ईमानदारी से प्रशासन का साथ दे !मैट्रो में वो सब समाज में सुरक्षा की माँग ! इनसे जब फुरसत मिले तो पुलिस समाज सुरक्षा के विषय में भी सोचे!अन्यथा बम विस्फोट हों तो हों क्या करे पुलिस!क्या हमें अपनी सुरक्षा का ध्यान स्वयं भी नहीं रखना चाहिए? कोई कुछ भी कहे मैट्रो के माध्यम से सच्चाई तो सामने आ ही गई कि क्यों घटती हैं प्यार और बलात्कार की दुर्घटनाएँ ?कुछ भी हो ऐसी हरकतों का समर्थन कोई चरित्रवान स्त्री पुरुष क्यों करेगा ?

      ये जोड़े जो भी ऐसी सार्वजनिक जगहों पर ऐसी अश्लील हरकतें करते हैं ये खुद तो बर्बाद हैं ही देखने वालों को भी बर्बाद कर रहे  हैं।इन्होंने अपनी अश्लील हरकतों से महानगरों में पार्क बैठने लायक नहीं रखे।गाँवों में एक दूसरे की बोलचाल तक बंद करा रखी है जिसके फलस्वरूप चारों ओर तकरार ही तकरार हो उसे न जाने क्यों लोग प्यार कहते हैं ?

     इन बदनाम जोड़ों को आम आदमी रोके तो छेड़छाड़ का केस बनेगा,पुलिस रोके तो प्यार पर पहरा !भाई क्यों कोई रोके ?अब तो मीडिया को जो अच्छा लगे वही सही है जब जिस मुद्दे को जैसा चाहे घुमा ले मीडिया !निर्मल बाबा पर खूब शोर शराबा किया फिर मेहरबान है मीडिया !धीरे धीरे चैनलों पर बढ़ने लगा है उनके कृपा वितरण का कारोबार !किन्तु मौन है मीडिया ! मानना पड़ेगा अद्भुत है मीडिया !

     धर्म के क्षेत्र में ही ले लीजिए जिससे मीडिया की गुटुरगूँ चल जाए उसे गुरु जगद्गुरु,विश्व प्रसिद्ध योग गुरु, संत या विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आदि कुछ भी बना दे और थोड़ा भी लेन देन बिगड़े तो न केवल सारा धर्म कर्म समाप्त अपितु सारे धर्मशास्त्र अचानक अंध विश्वास  को बढ़ावा देने वाले सिद्ध कर दिए जाते हैं! किन्तु ये मीडिया वाले हैं ये सबको सब कुछ कह सकते हैं इन्हें कोई क्या कह सकता है? ये तो स्वतंत्र हैं? वैसे भी इस युग के तीन ही मालिक हैं मीडिया महात्मा और नेता !और सारी मशीनरी इन तीन के पीछे ही चलती है कौन पूछता है आम समाज को !

      एक बार हमें एक निजी जीवन से जुड़ा हुआ बहुत जरूरी नैतिक काम था किसी ने कहा कि कोई अधिकारी चाह ले तो हो सकता है तो मुझे लगा कि मैं भी तो पढ़ा लिखा हूँ वो लोग भी सुशिक्षित होते हैं शायद हमारी भी शिक्षा के प्रति उनके मन में भी कोई सम्मान की बात बने यह सोचकर अपनी ऊँची पढ़ाई लिखाई के नशे में मैंने सम्बंधित एक आई.ए.एस.अधिकारी महोदय को फोन लगाकर अपना धार्मिक परिचय बताना चाहा तो उन्होंने बात बीच में ही रोक कर पूछा कि क्या किसी बड़े महात्मा का प्रकरण है तो मैंने कहा कि नहीं मेरा निजी है यह सुनते ही मेरा फोन काट दिया गया !

        एक आध दिन रुककर मैंने फिर फोन लगाया और बताया कि मैं लेखक हूँ तो उन्होंने पूछा कि मीडिया से जुड़े हो मैंने कहा न,मैं तो स्कूल की किताबें लिखता हूँ यह सुनते ही उन्होंने मेरा फोन काट दिया!

      फिर एक आध दिन रुककर मैंने उन्हें फोन किया तो बताया कि मैं समाज सेवक हूँ कई क्षेत्रों में मैं काम कर रहा हूँ यह सुनकर उन्होंने पूछा कि किसी राजनैतिक दल से जुड़े हो तो मैंने कहा नहीं तो उन्होंने मेरी बात बिना सुने ही फोन काट दिया!उस दिन मुझे लगा कि अधिकारी भी इस देश में केवल तीन लोगों को जीवित मानता है और वो हैं मीडिया, महात्मा और नेता!बाकी जीना तो सभी चाहते हैं कोई जीने दे तब न !

         बाबाओं को ही ले लीजिए अपना धन तो धन है दूसरों  का धन काला धन !वो भी इन्हें मिल जाए तो शुद्ध धन !इनसे कौन पूछे कि वैरागी महात्माओं का तो सारा धन ही काला होता है!क्योंकि गृहस्थों और उनमें इतना ही अंतर था कि वे सब कुछ छोड़ कर साधू बने थे!यदि धन ही कमाना था या राजनीति ही करनी थी तो इसके लिए तो संत वेष क्या जरूरी था ये तो गृहस्थ रह कर भी कर सकते थे ?कम से कम चरित्रवान संतों की मर्यादा तो बनी और बची रहती!किन्तु समरथ को नहिं दोष गोसाईं ये बाबा लोग सबको सब कुछ कह सकते हैं इन्हें कोई क्या कह सकता है ये तो स्वतंत्र हैं!

        नेता गिरी में भी यही है धर्म निरपेक्षता पर कुछ लोगों या पार्टियों का कापी राइट है वो जिसे कहें वो धर्म निरपेक्ष माना जाएगा अन्यथा नहीं!इसीप्रकार जब चाहें सवर्णों को गाली दें जब चाहें ब्राह्मणों का सम्मेलन करावें !किन्तु ये सबको सब कुछ कह सकते हैं इन्हें कोई क्या कह सकता है ये नेता लोग तो स्वतंत्र हैं!

     हमारे कहने का मतलब केवल इतना है कि इस देश में आजादी केवल तीन लोगों को मिली है मीडिया ,महात्मा और नेता !बाकी तो सब घुट घुट कर जीने के लिए हैं जिएँ जिएँ न जिएँ मर जाएँ तो किसी का क्या लेना देना? भुगतें उसके परिवार वाले यही आम आदमी का नसीब  है !इसी आजादी पर वो कविता कहानियों के माध्यम से गर्व करते रहें!  

      इसलिए समाज के हर वर्ग में ऐसे प्रेमी लोग हैं केवल राघव जी ही क्यों?वैसे भी प्रेम तो पवित्र होता है वहाँ सेक्स की गुंजाइस ही कहाँ होती है?इसके लिए यही एक रास्ता है कि परेशानी से बचना या अपने समाज को बचाना चाहते हो तो संयम रखो सदाचारी बनो !इसी का प्रचार प्रसार करो जैसे जैसे नैतिकता बढ़ती जाएगी संयम बढ़ता जाएगा बासना घटने लगेगी न प्यार की ईच्छा होगी न बलात्कार होगा ! इसप्रकार की भारतीय संस्कृति पर जो भरोसा रखेगा वो  सुरक्षित रहेगा ।
       इस प्रकार के पवित्र भारतीय संस्कारों के प्रचार प्रसार में यदि आप भी हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं या करना चाहते हैं हमारा या हमारे संस्थान का सहयोग तो कर सकते हैं हमसे संपर्क - 
  राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 0,9811226973

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

 

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