Friday, June 24, 2016

ज्योतिष की निंदा करने से पाखंडी भोगगुरु की पोल तो खुल गई कि इन्होंने आयुर्वेद भी नहीं पढ़ा है !

   पाखंडी बाबा लोग बिना पढ़े लिखे होने के कारण  कसरत और व्यायाम को भी योग बताने लगते हैं किंतु ज्योतिष को पाखंड और ज्यातिषियों को पाखंडी कहते हैं जबकि ज्योतिष ही वास्तव में दिव्य विद्या है ।
    इसीलिए पुराने लोग कहा करते थे कि बचपन में मेहनत करके पढ़ लो अन्यथा तुम्हारी मूर्खता के कारण ज्योतिष जैसा दिव्य शास्त्र तुम्हें समझ में नहीं आएगा और तुम समझोगे ज्योतिष ही गलत है !बेकार में नाक कटाते घूमोगे ज्योतिष एवं ज्योतिषियों पर उठ पटांग टिप्पणियाँ करके !वैसे भी हाथ पर हिलाने डुलाने वाले व्यायामी योगियों के बश का कहाँ है ज्योतिष जैसा गंभीर शास्त्र समझना !
     समय ही जिसका खराब हो उसे कैसे स्वस्थ कर लगा   आयुर्वेद या विश्व की कोई भी चिकित्सा पद्धति !समय जिसका पूरा  हो चुका हो उसे कैसे बचा लेगी विश्व की कोई भी चिकित्सा पद्धति !समय अच्छा है या बुरा इसे बताने वाला आयुर्वेद नहीं अपितु ज्योतिष है व्यायाम और आयुर्वेद की सामर्थ्य अत्यंत सीमित है चिकित्सा पद्धति स्वस्थ होने लायक रोगी को ही स्वस्थ कर सकती है हर रोगी को नहीं किंतु स्वस्थ होने लायक रोगी और न स्वस्थ होने लायक रोगियों के अंतर को स्पष्ट तो ज्योतिष ही करेगा !ये आयुर्वेद के बश की बात ही नहीं है !
      जिन पाखंडियों ने आयुर्वेद भी नहीं पढ़ा है वे ज्योतिष की निंदा करते फिर रहे हैं !आयुर्वेद ही पढ़ा होता तो भी पता होता ज्योतिष एवं वास्तु आदि का महत्त्व !मैं 'सुश्रुतसंहिता' और और 'चरकसंहिता' जैसे ग्रंथों में दिखा दूँगा ज्योतिषशास्त्र का खुला प्रयोग ! ज्योतिष शास्त्र के बिना विकलांग है आयुर्वेद !

    ज्योतिष शास्त्र समय संबंधी पूर्वानुमान का सबसे बड़ा विज्ञान है !ये अगर पेट पिचका कर पैसे कमाने वाले नट नागरों को न समझ में आए तो इसके लिए ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष विद्वान क्या करें !कैसे घुसाएँ उन दिमागी अपाहिजों की घमंडी खोपड़ी में! 
     जिस ज्योतिष शास्त्र को आयुर्वेद केवल मानता ही नहीं है अपितु आयुर्वेद अधूरा है ज्योतिष शास्त्र के बिना !आयुर्वेद के बड़े बड़े ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र संबंधित बातों को उद्धृत किया गया है  गया है !यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र न भी पढ़ा हो केवल आयुर्वेद भी पढ़ा हो तो उसे भी पता होगा ज्योतिष शास्त्र का महत्त्व किंतु जिसने कुछ पढ़ा ही न हो उसके लिए बेकार है ज्योतिष क्या कोई भी शास्त्र ! वो जिस विषय में जितनी चाहे उतनी बकवास करे स्वतंत्र है वो !जितनी योग के नाम पर कसरत करने के लिए हाथ पैर तो कोई भी हिला  डुला सकता है पढ़ा हो या अनपढ़ किंतु ज्योतिष शास्त्र वेदों का नेत्र है !ये उसी को समझ में आएगा जिसके पास दिमाग होगा !ज्योतिष जैसे शास्त्र के विषय में मुख उठा के ऐसे ऐसे लोग बकवास करने लगते हैं जिनमें शास्त्रों को समझने की क्षमता ही नहीं है । 
    आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथों में भी औषधि आहरण से लेकर औषधि निर्माण एवं औषधि दान तक की विधि में ज्योतिष शास्त्र का भरपूर उपयोग किया गया है !औषधि आहरण में स्थान विशेष की चर्चा सुश्रुत संहिता में वास्तु के आधार पर ही की गई है की तक की विधि थ भी कहते हैं !ज्योतिषशास्त्र जन्मपत्री विज्ञान वास्तु विज्ञान को यदि वे गलत कहते हैं तो इधर उधर योग शिविरों कहते क्यों घूम रहे हैं सीधे शास्त्रार्थ करें और गलत सिद्ध करके दिखावें ज्योतिष को !साधू संतों जैसा वेष धारण करके शास्त्रों की निंदा करना निंदनीय है कोई बात यदि किसी को समझ में न आवे इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत है !रिओं यदि उन्हें गलत की सत्यता पर यदि संदेह हो तो बाबा जी करें शास्त्रार्थ !सरकार व्यवस्था करे !
    योग शिविरों में ज्योतिष की बुराई करना ठीक नहीं है यदि ज्योतिष की पद्धति गलत सिद्ध होगी तो बंद कर दी जाएगी !दूध का दूध पानी का जाएगा !यदि सही होगी तो ज्योतिष की बुराई बंद हो जाएगी !ऐसे कोई भी कभी भी ज्योतिष की निंदाकरने लगता आखिर ज्योतिष एक विषय है !कोई ज्योतिषी गलत हो सकता है किंतु शास्त्र नहीं
!
के
वल ज्योतिष ही नहीं संपूर्ण धर्म क्षेत्र ही आज भ्रष्टाचार का शिकार है योग्य और सदाचारी लोगों को खोज पाना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है !धर्म की जितनी विधाएँ हैं सब फेल होती जा रही हैं समाज में बढ़ते अपराध इस बात के सुदृढ़ प्रमाण हैं !पैसे के बल पर भीड़ कहीं कोई कितनी भी इकट्ठी कर ले किंतु समाज सिरे से ख़ारिज करता जा रहा है !ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में जो ज्योतिष पढ़े नहीं हैं वो भी ज्योतिष की निंदा करते हैं अरे !जिस विषय को आप जानते ही नहीं हैं उसके सही गलत होने का फैसला आप कैसे कर सकते हैं ! आखिर ज्योतिष भी एक शास्त्र है कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए वो शास्त्र से बड़ा कभी नहीं हो सकता !वैसे भी शास्त्रार्थ अपनी पुरानी परंपरा है इसमें कोई बुराई भी नहीं है ! शंका समाधान हो जाए तो क्या बुरा है !
" ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !"

जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह सकता है ।बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसेsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html "