Sunday, April 30, 2017

नौकरी पानी हो या राजनीति में सफलता ! दोनों के लिए चाहिए घूस और सोर्स का जुगाड़ !

     भ्रष्टाचारियों को घूस देने के लिए जिसके पास पैसे न हों और नेताओं की चमचागिरी करके सोर्स का जुगाड़ न बैठा सकता हो !उसे सरकारी नौकरी और राजनीति में सफलता के सपने ही नहीं देखने चाहिए !भ्रष्टाचार के इस युग में ईमानदारी के नारे लगा लगा कर बेईमान लोग सब कुछ बेच लेते हैं !भले वो सरकारी नौकरी हो या राजनैतिक पद प्रतिष्ठा और पहचान ही क्यों न हो !
   सेक्स और सुंदरता भी अहम् भूमिका निभाती है राजनीति और सरकारी सेवाओं में !अच्छा पद प्रतिष्ठा प्राप्त करके राजाओं की तरह सुख सुविधा भोगने के इच्छुक लोग अपनी इन्द्रियों पर लगाम लगाएँगे क्या ?ऐसे संयमी लोग कितने प्रतिशत होंगे राजनीति में !        ऐसे नौकरी विहीन राजनैतिक सफलता विहीन ईमानदार लोगों को सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएँ व्यक्त करने से सरकारी एवं राजनैतिक भ्रष्टाचारी लुटेरे घूसखोर मक्कार कायर लोकतंत्र के हत्यारे बेईमान सफेदपोश लोग नहीं रोक सकते !यदि आप चाहते हैं कि आपकी तरह किसी अन्य प्रतिभासंपन्न विद्वान ईमानदार सदाचारी किसी युवा की जिंदगी न बर्बाद हो तो इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के लिए सोशल साइटों पर संभाल लीजिए मोर्चा !और इन्हें दर्पण दिखते रहिए जिनमें शर्म होगी वो तो सुधर ही सकते हैं बाकी  गद्दारी तो सरकारी शोणित में है ही उसका रोना किस्से रोया जाए !समाज बदलना है तो आगे आओ !
    आज वो लोग पढ़ा रहे हैं जिन्हें खुद पढ़ना नहीं आता क्या सरकार में हिम्मत है कि अपने कर्मचारियों की एक बार परीक्षा ले कर देख तो ले कि इन्होंने जिन डिग्रियों के जो सर्टिफिकेट दिए हैं उनमें से कितने फर्जी हैं और कितने ओरिजनल और यदि ओरिजनल हैं तो इनमें काम करने की अकल कितने में है !यदि ये लोग योग्य ही होते तो सरकारी कामकाज की भद्द हर जगह क्यों पिटी पड़ी है !सरकार के प्रायः हर विभाग को जनता चोर की निगाह से क्यों देखती है !सैनिकों से इन्हें कुछ सीखना नहीं चाहिए क्या कि जिम्मेदारी क्या होती है !
     सरकार अपने कर्मचारियों की परीक्षा लेकर देखे तो सही घूस और सोर्स का चमत्कार !भ्रष्टाचार के कारण  देश की प्रतिभाओं के साथ कैसे कैसे धोखा होता रहा है !आज अधिकारियों को उठना बैठना सोना जगना सिखाना पड़ रहा है बारी उच्च शिक्षा !
   अब तो अधिकरियों के कान में बताया जा रहा है कि जो सैलरी अभी तक तुम्हें बिना कुछ किए मिलती थी अब उसके लिए तुम्हें आफिसों में जाना पड़ेगा और जो लोग आएँगे उनकी बातें सुननी पड़ेंगी !उन्हें जाँच कराने के झूठ साँच आश्वासन देने पड़ेंगे !नौकरी करने के लिए तुम्हें और क्या करना है ये भी बताया जाएगा !जैसा जैसा कहा जाए वैसा वैसा करते जाना !बारे अधिकारी !जिन्हें अब तक अपने दायित्व का ही बोध नहीं था अगर इनके पास उच्चस्तरीय शिक्षा थी भी तो भी देश और समाज के भरोसे पर खरे तो नहीं उतर सके !अगर ये अशिक्षित ही होते या ऐसे अधिकारी होते ही न तो इससे ज्यादा और क्या भद्द पिटती जितनी अभी तक पिटती रही है !दुर्भाग्य है ऐसे लोकतंत्र का !
  काश  मैं भी नेता बन पाता ! 
 हर पार्टी के लोगों को मैंने यह कहते  सुना है कि वो राजनैतिक शुद्धि के लिएपढ़े लिखे ईमानदार लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं।जिससे देश में ईमानदार राजनीति का वातावरण बनाया जा सके। यह सुनकर मैंने सोचा कि मैंने भी दो विषय से आचार्य (एम.ए.)  दो विषय से अलग से एम.ए. एवं बी.एच.यू. से पीएच.डी की है।करीब150 किताबें लिखी हैं यद्यपि सारी प्रकाशित नहीं हैं,कई काव्य ग्रंथ भी हैं।प्रवचन भाषण आदि करने ही होते हैं।आरक्षण आंदोलन से आहत होकर मैंने आजीवन सरकार से नौकरी न मॉंगने का व्रत लिया हुआ है। वैसे भी ईमानदारीपूर्वक जीवन यापन करने का प्रयास करता रहा  हूँ। फिलहाल अभी तक निष्कलंक जीवन है यह कहने में हमें कोई संकोच नहीं हैं।           
      इस प्रकार से अपनी शैक्षणिक सामर्थ्य  का राजनैतिक दृष्टि से देशहित में सदुपयोग करना चाहता था, इसी दृष्टि से मैंने लगभग हर पार्टी से संपर्क करने के लिए सबको पत्र लिखे अपनी पुस्तकें भेजीं अपने डिग्री प्रमाणपत्र भेजे फोन पर भी संपर्क करने का प्रयास किया,किंतु कहीं किसी ने हमसे मिलने के लिए रुचि नहीं ली।किसी ने हमें पत्रोत्तर देना भी ठीक नहीं समझा।कई जगह तो दो दो बार पत्र डाले किंतु कहीं कोई चर्चा न हो सकी किसी ने मुझे पत्र लिखने लायक या फोन करने लायक नहीं समझा मिलने की बात तो बहुत दूर की है।
      हमारे राष्ट्रपति जी दुर्गा जी के भक्त हैं यह सुनकर उन्हें अपनी दोहा चौपाई में लिखी दुर्गा सप्तशती की पुस्तकें  भेंट करके अपनी कुछ बात निवेदन करने का मन बनाया किंतु वहॉं पुस्तकें एवं पत्र भेजने के बाद भी कोई पत्र नहीं मिला।
       इसके बाद कुछ हिंदू संगठनों से  इसलिए संपर्क किया कि मेरी धार्मिक शिक्षा विशेष रूप से हैं शायद  वहीं हमारा जनहित में शैक्षणिक सदुपयोग हो सके तो अच्छा होगा तो वहॉं के बड़े बड़े लोगों ने हमसे मिलना ठीक नहीं समझा उनसे छोटे लोगों को हमारी शिक्षा में कोई प्रत्यक्ष रुचि नहीं हुई, यद्यपि वहॉ मुझे इसलिए उन्होंने संपर्क में रहने को कहा ताकि हमारी समाज में जो गुडबिल है उसे संगठन के हित में आर्थिक रूप से कैस किया जा सके।यहॉं से इसी प्रकार के यदा कदा फोन भी आये जिनमें मैंने पैसे के कारण रुचि नहीं ली।
      इसके बाद निष्कलंक जीवन बेदाग चारि़त्र का नारा देने वाले एक सामाजिक संगठन से जुड़ने के लिए वहॉं के मुखिया को अपना साहित्य भेजा और मिलने के लिए पत्र के माध्यम से समय मॉंगा किंतु वहॉं भी मुझे घास नहीं डाली गई।इसके बाद ब्लाग पर बैठ कर चुपचाप मैं अपने बिचार लिखने लगा।
       यहॉं यह अपनी निजी कहानी लिखने का अभिप्राय केवल यह है कि इन राजनेताओं को अपने दलों में अपने साथ जोड़ने में न जाने किस शैक्षणिक या और प्रकार की योग्यता की आवश्यकता होती है जिन ईमानदार कार्यकर्ताओं के नाम पर वे जिनकी तलाश किया करते हैं न जाने वे कौन से भाग्यशाली लोग हैं,और वे अपनी किस योग्यता से अपनी ओर राजनैतिक समाज को प्रभावित किया करते हैं?मुझे तो केवल इतना पता है कि  हमारे जैसा शिक्षा से जुड़ा हुआ व्यक्ति इन राजनैतिक लोगों के किसी काम का नहीं है तो आम ग्रामीण या सामान्य आदमी इन राजनैतिक या सामाजिक संगठनों से क्या आशा  रखे?अगर उसे अपनी कोई समस्या कहनी ही हो तो किससे कहे ?और यदि राजनैतिक क्षेत्र में जुड़कर कोई काम करना ही हो तो कैसे करे ?
        
     डॉ. शेष नारायण वाजपेयी   
                            संस्थापकःराजेश्वरी प्राच्यविद्याशोधसंस्थान               
                                                         एवं               
                                                           दुर्गापूजाप्रचारपरिवार
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         
   व्याकरणाचार्य (एम.ए.)द्वारा संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालयवाराणसी   ज्योतिषाचार्य(एम.ए.ज्योतिष)
द्वारासंपूर्णानंदसंस्कृतविश्व विद्यालयवाराणसी
   एम.ए.      हिन्दी    द्वारा   कानपुर         विश्व  विद्यालय
   पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता द्वारा उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी   पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष)     द्वारा
    बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी.एच. यू.  वाराणसी
   विशेषयोग्यताः-वेद, पुराण, ज्योतिष, रामायणों तथा समस्त प्राचीनवाङ्मयएवं राष्ट्र भावना       सेजुड़ेसाहित्य में लेखन और स्वाध्याय 
 प्रकाशितः-पाठ्यक्रम की अत्यंत प्रचारित प्रारंभिक कक्षाओं की हिन्दी की किताबें
कारगिल विजय      (काव्य )             श्री राम रावण संवाद  (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती     (काव्य अनुवाद )      श्री नवदुर्गा पाठ      (काव्य)                               
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य )  श्री परशुराम(एक झलक श्री राम एवं रामसेतु  (21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन)
              कुछ मैग्जीनों में संपादन, सह संपादन स्तंभ लेखन आदि। 
अप्रकाशितसाहित्यः-श्रीशिवसुंदरकांड,श्रीहनुमतसुंदरकांड,संक्षिप्तनिर्णयसिंधु,   
ज्योतिषायुर्वेद,श्रीरुद्राष्टाध्यायी,वीरांगनाद्रोपदी,दुलारीराधिका,ऊधौगोपीसंवाद,    श्रीमद्भगवद्गीता‘काव्यानुवाद’                
 रुचिकर विषयः- प्रवचन, भाषण, मंचसंचालन, काव्य लेखन, काव्य पाठ एवं शास्त्रीय विषयों पर नित्य नवीन खोजपूर्ण लेखन तथा राष्ट्रीय भावना के विभिन्न संगठनों से जुड़कर कार्य करना। 
जन्मतिथिः-9.10.1965                                                    
जन्म स्थानः- पैतृक गाँव-इंदलपुर, पो.संभलपुर, जि.कानपुर,उत्तरप्रदेश                                       वर्तमान पता  के -71, छाछी बिल्डिंग चौक , कृष्णानगर,दिल्ली51                                                        फो.नंः-011 22002689,011 22096548,मो.09811226973,09968657732  

Wednesday, April 12, 2017

स्वास्थ्य अनुसंधान प्रस्ताव !

अनुसंधान प्रस्ताव

































अनुसंधान परियोजना के बी विवरण
1
प्रोजेक्ट का TITLE:
  समय एवं प्राकृतिक संकेतों के द्वारा भावी घटनाओं का पूर्वानुमान ! 
2
उद्देश्य:
A.   रोगों एवं अवसाद जैसे मनोरोगों का पूर्वानुमान करके प्रिवेंटिव चिकित्सा को आसान बनाना !
B. अतिवर्षा बाढ़ एवं  भूकंप आदि का पूर्वानुमान एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं से मिलने वाले संकेतों का अध्ययन 
3
प्रस्तावित अनुसंधान का सारांश (150 शब्द तक) संकेत: -
      समय - शरीर और ब्रह्मांड दोनों की रचना एक जैसी है शरीर में रोग मनोरोग आदि हों या प्रकृति में बाढ़ भूकंप आदि ये सब अचानक घटित होते देखे जाते हैं !रोग होने पर चिकित्सा कर ली जाती है और प्राकृतिक दुर्घटनाओं के बाद बचाव कार्य कर लिए जाते हैं किंतु चिकित्सा और बचाव कार्य के परिणामों का पूर्वानुमान पता नहीं होता ! कई बार तो चिकित्सा होते हुए भी कुछ रोगियों का रोग बढ़ते और मृत्यु तक होते देखी जाती है इसी प्रकार से बाढ़ भूकंप आदि के बाद बचाव कार्य चला करते हैं उधर बाढ़ बढ़ती जाती है और भूकंप के झटके लंबे समय तक लगते रहते हैं !इसलिए  इनसे संबंधित पूर्वानुमान लगाने के लिए समयविज्ञान एवं प्रकृति संकेतों के अध्ययन हेतु !



4
योग्यता - आयुर्वेद ज्योतिष एवं वेद वेदांगों का अध्ययन


अध्ययन  संदर्भ:
    आयुर्वेद - चरकसंहिता,सुश्रुतसंहिता,शार्ङ्गधर संहिता,माधन निदान ,रस रत्न समुच्चय ,अष्टाङ्गसंग्रह,भावप्रकाश, चक्रदत्त आदि !
 ज्योतिष - ताजिक नीलकण्ठी ,होरा रत्नम,पराशर होरा शास्त्र ,जतक पारिजात ,वृहद्ज्जातक, जातकतत्वविवेक, जातकालंकार ,लघुपाराशरी, षड़पंचाशिका,गृह लाघव, सूर्यसिद्धांत,ज्योतिर्विवेक रत्नाकर,सारावली आदि    


5
पिछले लगभग बीस वर्षों से समय विज्ञान को आधार मानकर जीवन एवं प्रकृति से संबंधित विभिन्न विषयों पर अनेकों दृष्टिकोणों से रिसर्च किया जा चुका है जिससे कई विषयों के पूर्वानुमान में सफलता मिली है भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमान लगा  पाने में भले ही अभी तक कोई विशेष सफलता न मिल पाई हो किंतु इस रिसर्च कार्य के द्वारा ही इसी क्षेत्र में सफलता के जो संकेत मिले हैं वो काफी आशा जनक हैं !
6
संबंधित शीर्षकों के तहत विस्तृत शोध योजना
  1. पिछले 100 वर्षों में आए बड़े भूकंपों का अध्ययन
  2. भूकंपों के प्रकारों का अध्ययन 
  3.  भूकंपों से प्राप्त संकेतों के अध्ययन के आधार पर निकट भविष्य में घटने वाली प्राकृतिक सामाजिक व राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का पूर्वानुमान !
  4. भूकंप आने से पहले और बाद में होने वाले प्रकृति परिवर्तनों का अध्ययन !
  5. भूकंप आने से पहले और बाद में लोगों में होने वाले संभावित रोगों एवं स्वभावों में होने वाले बदलावों का अध्ययन !
  6.  वात  पित्त कफ प्रकृति के भूकम्पों का वात  पित्त कफ प्रकृति के लोगों पर अलग अलग पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन !
  7. भूकंपों के प्रकारों के आधार पर भिन्न भिन्न भूकंपों का अलग अलग जानवरों के स्वभावों शरीरों में आए परिवर्तनों का अलग अलग अध्ययन !
  8. भिन्न भिन्न भूकंपों का भिन्न भिन्न वृक्षों वनस्पत्तियों पर दिखने वाले बदलावों का अलग अलग अध्ययन !
  9. भूकंपों के आने के पहले से बाद तक की प्राकृतिक घटनाओं का अलग अलग अलग अध्ययन !
  10. भूकंपों के आने से पहले एवं बाद में होने वाले प्राकृतिक उत्पातों का अध्ययन ! 
  11. भूकंपों के आने से पहले एवं बाद में दिखने वाले आकाशीय एवं पार्थिव शकुनों अपशकुनों का अध्ययन !
  12. भूकंपों के समय ग्रहों नक्षत्रों एवं ग्रहसंयोगों के आधार पर भूकंपों का अध्ययन !
  13. पिछले 100 वर्षों में आए प्रमुख भूकंपों के समय के ग्रह एवं नक्षत्रों  का आधुनिक भूकंपों के लक्षणों के साथ संयुक्त अध्ययन !
  14. भूकंप आने वाले समय में ही भूकंप स्थलों पर पहुँच कर वहाँ की प्रकृति का अध्ययन
  15. प्रोफार्मा:
    1. अनुलग्नक I : निम्न बिंदुओं सहित रोगी की जानकारी:
      1. अनुसंधान और लाभ का उद्देश्य
      2. अध्ययन प्रक्रिया
      3. अध्ययन के प्रायोजक
      4. संभावित जोखिम:
      5. गोपनीयता:
      6. अध्ययन और आपके अधिकारों में आपकी भागीदारी: अध्ययन डिजाइन

    1. अनुबंध II : सहमति फॉर्म
      1. समझने योग्य भाषा
      2. अध्ययन जिसमें शोध शामिल है
      3. अध्ययन के प्रायोजक
      4. उद्देश्य और प्रक्रियाएं
      5. जोखिम और असुविधाएं
      6. लाभ
      7. भागीदारी के लिए मुआवजा
      8. अध्ययन संबंधी चोट के लिए मुआवजा
      9. भागीदारी के विकल्प
      10. रिकॉर्ड की गोपनीयता
      11. संपर्क जानकारी
      12. कथन वापस लेने का अधिकार
      13. सहमति स्वैच्छिक है
      14. जैविक सामग्री के भविष्य के उपयोग के लिए सहमति
      15. भविष्य में होने वाले व्यावसायीकरण जैसे किसी भी लाभ, जैसे कि दवा के विकास के लिए आनुवंशिक आधार
      16. यदि लिखित सहमति प्राप्त नहीं की गई है, तो कारण दें

    1. अनुलग्नक III : डेटा संग्रह / प्रश्नावली
  1. उपयोग किए जाने वाले उपकरणों और अन्य सामग्रियों:
  2. पेटेंट आदि प्राप्त करने के लिए संभावित तरीकों सहित सांख्यिकीय तरीकों सहित परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए कार्यप्रणाली / तकनीकों को नियोजित किया जाता है।

अध्ययन भागीदार

शामिल करने के मापदंड

बहिष्करण की शर्त

अध्ययन योजना

  1. समाप्ति बिंदु:
  2. टाइमसेट और फ्लोचार्ट:
#
अवधि
प्रस्तावित कार्य
क्रियाएँ
1
प्रवेश पर





  1. सांख्यिकीय विश्लेषण:

7
प्रस्तावित जांच के लिए जीएमसीएच में उपलब्ध उपकरण, आदि के संदर्भ में सुविधाएं

8
बजट की आवश्यकता (विस्तृत गोलमाल और पूर्ण औचित्य के साथ )
  1. स्टाफ़
  2. आकस्मिक व्यय
  3. आवर्ती
  4. गैर आवर्ती (उपकरण)
  5. यात्रा
  6. उपरि शुल्क
9
नैतिक अनुपालन: हाँ / नहीं


अध्ययन का प्रकार:

क्लिनिकल

व्यवहार



बी
इस अध्ययन में मानव विषय शामिल होगा : हाँ / नहीं

सी
मानव विषय पर इस अध्ययन में विषयों को न्यूनतम जोखिम से ज्यादा सम्मिलित नहीं है (न्यूनतम जोखिम दैनिक जीवन में सामना करने के लिए तुलनीय है)

डी
इस अध्ययन में पशुओं को शामिल किया जाएगा (वर्तमान में इस अध्ययन में इन अध्ययनों की अनुमति नहीं है

इस अध्ययन में शामिल विषयों की आयु 18 वर्ष से अधिक होगी और वैध सहमति देने में सक्षम होंगे
यदि नही।
  1. विषयों 18 वर्ष से ऊपर हैं लेकिन मानसिक विकार / विकास विकलांगता / शिक्षा या संचार समस्याओं के कारण सहमति नहीं दे सकते।
डिमेंशिया / मादक पदार्थों की लत

  1. विषय 18 वर्ष से कम उम्र के हैं

  1. यदि उत्तर I और I वर्ष है, तो विषय के कानूनी अधिकृत प्रतिनिधि की उचित सहमति ली जाएगी










एफ
प्रतिभागियों / माता-पिता / कानूनी प्रतिनिधियों की जानकारी और सहमति
  1. सभी विवरण / कानूनी प्रतिनिधियों को परियोजना / जांच के बारे में स्पष्ट विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी, जो कि एक भाषा में अग्रिम रूप से सरल और आसानी से समझी जा सकती है
  2. सभी प्रतिभागियों को स्वैच्छिक रूप से भाग लेना होगा और जांच / संस्था द्वारा किसी भी दंड के बिना अध्ययन डेटा के आधार पर उनकी चिकित्सा जानकारी / जांच को वापस लेने / निकालने का अधिकार होगा यदि वे चिकित्सा के उपयोग और देखभाल के लिए खतरे के बिना जांच के दौरान चाहते हैं
  3. अन्वेषक प्रतिभागी के मरीज के विपरीत शक्ति की स्थिति में नहीं होगा (यानी कोई दबाव, प्रलोभन, गले का इस्तेमाल उसकी निरंतर भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए रोगी के नामांकन के लिए किया जाएगा)
  4. हस्ताक्षरित और हस्ताक्षर किए गए (स्वतंत्र गवाह द्वारा) सहमति प्रत्येक मामले में अनुमोदित स्वीकृति प्रपत्र पर ली जाएगी















जी
नैदानिक ​​परीक्षण: ड्रग / टीके / डिवाइस / हर्बल उपचार:

  1. क्या अध्ययन में इसका इस्तेमाल होता है: कृपया टिक करें
दवा
उपकरण
टीके
भारतीय चिकित्सा पद्धति
चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणाली
कोई दूसरा
एनए
  1. क्या इसे स्वीकृत और विपणन किया गया है:
कृपया सही का निशान लगाएं:
भारत में
ब्रिटेन और यूरोप
अमेरीका
अन्य देशों, निर्दिष्ट करें
  1. क्या इसका उपयोग, खुराक, प्रशासन के मार्ग में परिवर्तन शामिल है?
यदि हां, क्या डीसीजीआई / अन्य कोई नियामक प्राधिकरण की अनुमति प्राप्त है?
यदि हां, तो अनुमति की तिथि:
  1. क्या यह एक नई दवा है?
यदि हां, इंड इंडिया:
    1. अन्वेषक के ब्रोशर ने प्रस्तुत किया
    2. मैं एन विट्रो पढ़ाई डेटा
    3. प्रीक्लिनिनिकल अध्ययन किया
    4. नैदानिक ​​अध्ययन है: चरण I / चरण II / चरण III / चरण 4
  1. क्या आप जानते हैं कि इस अध्ययन / समान अध्ययन कहीं और किया जा रहा है?
यदि हां, तो विवरण संलग्न करें




















एच
विषय चयन:
  1. विषयों की संख्या
  2. अध्ययन की अवधि।
  3. दोनों लिंगों से भर्ती हो सकते हैं : हाँ / नहीं
  4. शामिल किए जाने / बहिष्करण मानदंड दिए गए हाॅं नही
  5. विषय के प्रकार:
स्वयंसेवक
              रोगियों
  1. वी उलन इरबल विषय:
क्या मैं अध्ययन करता हूं :
              गर्भवती महिला
              बच्चे
              बुजुर्गों
              भ्रूण
              निरक्षर
              विकलांग
              बहुत बीमार
              गंभीर रूप से बीमार
              मानसिक रूप से विकलांग
              आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े
              कोई दूसरा
  1. विशेष समूह के विषय (कृपया टिक करें)
इसमें शामिल हैं: कैदियों
संस्थागत, कर्मचारी, छात्र, नर्स / आश्रित
सशस्त्र बलों, स्टाफ, किसी भी अन्य














मैं
गोपनीयता और गोपनीयता
  1. अध्ययन शामिल है
- प्रत्यक्ष पहचानकर्ता
              - अप्रत्यक्ष पहचानकर्ता / कोडित
              - पूरी तरह से अनजान / डिलीक्टेड              
  1. कर्मचारियों द्वारा डेटा की गोपनीय संभाल

जे
जैविक / खतरनाक सामग्रियों का उपयोग: (कृपया टिक करें)
  1. भ्रूण के ऊतक या बबर्टस का प्रयोग
  2. अंगों या शरीर तरल पदार्थों का उपयोग
  3. पुनः संयोजक / जीन थेरेपी का प्रयोग
यदि हां, तो डीएएनए उत्पादों के लिए बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) की मंजूरी मिली है
  1. पूर्व-मौजूद / संग्रहीत / बाएं नमूनों का उपयोग
  2. बैंकिंग / भविष्य के अनुसंधान के लिए संग्रह
  3. लियोनीसिन विकिरण / रेडियोसोटोप का प्रयोग
यदि हां, भभ परमाणु रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) के पास रेडियोधर्मी आइसोटोप प्राप्त किया गया है?
  1. संक्रामक / बायो खतरनाक नमूने का प्रयोग
  2. सामग्री के उचित निपटान
  3. क्या मरीजों से एकत्र किए गए नमूने विदेशों में भेजे जाएंगे?
अगर हाँ, सहयोगियों के विवरण के साथ जस्टिफाइड
  1. क्या अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की स्क्रीनिंग समिति (एचएमएससी) से मंजूरी के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा रहा है?
  2. नमूना विदेश भेजा जाएगा क्योंकि: (कृपया टिक करें)
सुविधा भारत में उपलब्ध नहीं है
भारत में सुविधा दुर्गम है
सुविधा उपलब्ध है लेकिन उपयोग नहीं की जा रही है
              यदि हां, तो कारण ...













के
क्या विषय के भर्ती के लिए कोई विज्ञापन किया जायेगा? (पोस्टर, फ्लायर, ब्रोशर, वेबसाइट - यदि ऐसा है तो कृपया एक कॉपी संलग्न करें)

एल
जोखिम और लाभ:
  1. विषयों / समुदाय / देश को अनुमानित लाभ की तुलना में जोखिम क्या उचित है?
  2. क्या शारीरिक / सामाजिक / मनोवैज्ञानिक जोखिम / असुविधा है?
यदि हाँ, न्यूनतम या कोई जोखिम नहीं है
न्यूनतम जोखिम से अधिक
भारी जोखिम
  1. क) क्या इस विषय का एक फायदा है?
                                          डायरेक्ट
                                   अप्रत्यक्ष                                          
              बी) क्या समाज के लिए एक लाभ है: हां / नहीं







एम
प्रकाशन नैतिकता
  1. अन्वेषक सार्वजनिक हित में जानकारी के अनुसंधान / प्रसार के परिणाम के उचित प्रकाशन को सुनिश्चित करेगा।
  2. पारस्परिक सहमति द्वारा निर्धारित ग्रन्थकारिता के आदेश को परेशान नहीं किया जाएगा।
  3. ब्याज के संघर्ष अगर कोई भी शामिल किया जाएगा
  4. प्रकाशन का विवरण संस्थागत अनुसंधान और नैतिकता समिति को सूचित किया जाएगा
जहां भी उपयुक्त हो, व्यक्तियों का पावती दी जाएगी

एन
अन्वेषक को स्वयं के संपर्क नंबर के साथ-साथ सहभागिता को नैतिक समिति के संयोजक कार्यालय (एआरए) की संपर्क संख्या भी प्रदान करनी चाहिए