Saturday, September 30, 2017

रावण की निंदा करने वाले लोग अपने को राम समझते हैं क्या ?या रावण बन नहीं पाए इसलिए रावण की निंदा रहते हैं बेचारे !

    रावण को सच्ची श्रद्धांजलि देने का पर्व है "विजयदशमी" हमें बहुत कुछ सिखा सकता है रावण का चरित्र !राजनीति सीखने लक्षमण जी भी गए थे जिस रावण के पास !वर्तमान नेता उस विद्वान रावण की निंदा करने और पुतला जलाने में गर्व करते हैं !
     देश के राजनेता रावण की निंदा बहुत दिन कर चुके अब उससे कुछ सीखने का प्रयास करें !रावण के  गद्दारों को तुरंत बाहर खदेड़ दिया जाता था भले वो उनका भाई ही क्यों न हो !आज.... ! रावण के समय का विज्ञान कितना उन्नत था और आज ....!फिर भी रावण की निंदा !!हिम्मत की बात है !!घूस खोरी भ्रष्टाचार अकर्मण्यता आदि में लंका का समाज वर्तमान राजनेताओं से पीछे हो गया है !फिर भी रावण की निंदा !आश्चर्य है !!
    बलात्कार इस समय की तरह रावण सरकार के समय में भी लंका में होते तो 14 महीने तक लंका में सीता जी सुरक्षित कैसे रह पातीं ?
बलात्कारों पर अंकुश लगाने में लंका का प्रशासन वर्तमान भारतीय राजनीति से अच्छा था तभी सीता जी 14 महीने तक लंका के बन में सुरक्षित रह पाईं !आज के भारत में तो घरों में स्कूलों में अस्पतालों सरकारी कार्यालयों में बाजारों में कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं फिर भी रावण की निंदा करते हैं अकर्मण्य नेता लोग !
बेटी बचाओ अभियान !
   लंका में रावण सरकार का बेटी बचाओ अभियान !
      विजयदशमी बहन के लिए भाई की शहादत का पर्व है लंका में होता था बहनों का इतना बड़ा सम्मान !जिसके सम्मान की रक्षा के लिए भाई रावण का सारा खानदान ही  कुर्वान हो गया !
  इसका कितना बड़ा उदाहरण है श्री राम रावण युद्ध !बहन सूर्पणखा के सम्मान के लिए जिस भाई ने या जिन राक्षसों ने अपना सब कुछ कुर्वान कर दिया यहाँ तक कि प्राण भी न्योछावर कर दिए किंतु बहन की बेइज्जती का बदला लेने से पीछे नहीं हटे !बहन के लिए समर्पित रावण की फिर भी निंदा करते हैं लोग !
    रावण सरकार का स्वच्छता अभियान -
    लंका में पवन देवता बुहारी करते थे आज नेता झाड़ू पकड़ कर फोटो खिंचवा लेते हैं बस !इसीलिए लंका में कूड़े का एक तिनका भी कहीं दिखाई नहीं पड़ता था और यहाँ कूड़ा ही कूड़ा है!
     फिर भी रावण सरकार की निंदा झाड़ू पकड़ पकड़ कर फोटो खिंचाने वाले अकर्मण्य नेता लोग कर रहे हैं !झाड़ू की इतनी बड़ी बेइज्जती तो रावण ने अपने काल में भी नहीं होने दी थी !
    अपने काम काज में असफल नेता लोग भी रावण की निंदा करके अपने को राम सिद्ध किया करते हैं जबकि खुद तो रावण के रोएँ बराबर भी नहीं हैं फिर भी हिम्मत तो देखिए -
    द्वारपाल हरि  के प्रिय दोऊ !
   जय अरु विजय जान सब कोऊ !!
    हिम्मत की बात है न कुछ करने लायक एक से एक अकर्मण्य गैर जिम्मेदार घूस खोर भ्रष्टाचारी एवं आपराधिक कमाई में हिस्सा बताने वाले लोग भी रावण की निंदा किया करते हैं ! 
     राजनीति में जो अशिक्षित या अल्प शिक्षित नेता लोग  अपनी अशिक्षा के कारण पढ़े लिखे अधिकारियों कर्मचारियों से काम नहीं ले पाते हैं वो इन्हें बेवकूप बनाए रहते हैं ये बने रहते हैं ऐसे असहाय नेता लोग चारों वेदों छहो शास्त्रों अठारहों पुराणों समेत समस्त ज्ञान विज्ञान के विद्वान महान पराक्रमी रावण की निंदा नहीं करेंगे तो बेचारे और क्या करने लायक हैं ही क्या !
   रावण बनने के लिए घूस खोरी धोखा धड़ी झूठ फरेब आदि सारे पाप करके थक गए फिर भी जब रावण बन नहीं पाए तो रावण की निंदा करने लगे !"तब अँगूर खट्टे हो गए !"ऐसे अकर्मण्य भ्रष्टाचारी गैर जिम्मेदार घूसखोर अयोग्य संसद जैसे सदनों में होने वाली चर्चाओं को बोलने समझने की योग्यता न रखने वाले या समझ में न आने पर हुल्लड़ मचाने वाले सदस्यों को रावण अपने प्रशासन में कहीं जगह भी देता क्या ?इसलिए ये रावण की निंदा करते हैं !
    नेता लोग आजतक अपनी आमदनी के स्रोत जनता को नहीं समझा पाए कि उनकी पैदाइस सामान्य परिवारों में हुई काम धाम उनके कभी करे नहीं चुका !घर वालों ने निठल्ला समझकर कुछ बिना लिए दिए ही बहार कर दिया फिर आज अरबों खरबों की संपत्तियाँ इकट्ठी कैसे हुई हैं यदि अपराधियों से असमाजिक वारदातों की कमाई में हिस्सा नहीं लेते हैं तो कृपया अपनी संपत्तियाँ गिनाएँ एवं आमदनी के स्रोत बताएँ कि चुनाव लड़ने के पहले आपके पास क्या था और आज क्या है कितना है और ये आया कहाँ से ?इसके पहले रावण की निंदा करने का आपको कोई नैतिक अधिकार ही नहीं है  !
   सरकार ने जिन्हें अधिकारी बना दिया है वो अपने को न तो कर्मचारी मानते हैं और न ही कुछ करते हैं जनता बड़ी आशा से अपने अपने काम लेकर उनके पास जाती है और निराश होकर लौट आती है ! 
     सरकारों का झूठ -सरकार बात बात में कहती है कि हमें लिखकर भेजो इसपर भेजो उसपर भेजो ट्वीट करो जीमेल करो डाक से भेजो किंतु जो भेजते हैं उनमें से कितने के काम हुए कितनों को जवाब मिला ये उनकी आत्मा ही जानती होगी !ऐसी गैर जिम्मेदारी !इसके बाद भी रावण की निंदा करते घूम रहे हैं सरकारी नेता लोग  !
  रावणसरकार के मौसम विज्ञान से वर्तमान सरकार के मौसम विज्ञान की तुलना !
   रावण जब चाहता था तब पानी बरसा लेता था वर्तमान वैज्ञानिकों की आधे से अधिक भविष्यवाणियाँ झूठी निकल जाती हैं सं 2015 में प्रधानमन्त्री की जून और जुलाई महीने में होने वाली दो रैलियाँ केवल मौसम के कारण रद्द हुई थीं करोड़ों रूपए उनकी तैयारी में लगा दिए गए थे जो बेकार चले गए !जब  सरकार का मौसम विभाग सरकार के काम नहीं आ सका !ऐसे मौसम विभाग पर भरोसा कर लेने वाले मजबूर किसान आत्म हत्या नहीं तो क्या करें !
    मौसम विज्ञान की भविष्य वाणियाँ जब जब लम्बे समय की गईं तब तब गलत हुईं और दो चार दिन पहले करने से किसानों के किस काम की इसके बाद भी मौसम वैज्ञानिकों से संतुष्ट है सरकार !आखिर जो मौसम विज्ञान किसानों की मदद न कर सके वो जनता के किस काम का ?
   ऐसी सरकारें भी रावण की निंदा कर लेती हैं बड़ी भाई हिम्मत की बात है !
    रावणसरकार का भूकंप विज्ञान विभाग -
 रावण के राज्य में उसकी अनुमति के बिना पृथ्वी भी नहीं हिल सकती थी !तब क्या पृथ्वी के अंदर गैसें नहीं थीं तब प्लेटें आखिर क्यों नहीं हिलती थीं किन्तु ये रावण के विज्ञान की सफलता है जिसमें वर्तमान विज्ञान पीछे है !अब तो जिन्हें भूकंपों के विषय में कुछ भी नहीं पता हो उन्हें भी भूकंप वैज्ञानिक बता दिया जाता है !रावण की सरकार में अयोग्यता को इस प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जाता था ! सरकारी धन के व्यर्थ व्यय की इस प्रकार की छूट नहीं थी !
   भूकंपों के विषय में पहले कहा गया कि ज्वालामुखियों  के कारण भूकंप आता है फिर कहा गया कि कृत्रिम जलाशयों के कारण भूकंप आता है उसके बाद कहा गया कि जमीन के अंदर की गैसों के कारण भूकंप आता है अब गड्ढे खोद रहे हैं जो कुछ देशों में पहले खोदे जा चुके हैं किंतु वे अभी तक खाली हाथ हैं अब इनका भी इसी बहाने पास हो जाएगा कुछ समय !ऐसे कार्यक्रम चलने वाले नेता भी रावण की निंदा करते हैं !रावण के समय का विज्ञान  इतना ढुलमुल था क्या ?
   रावणसरकार की चिकित्सा व्यवस्था -
    बिना मशीनी जाँच के जुकाम और डेंगू जैसे बुखार का पता न लगा पाने वाली चिकित्सा पद्धति को ढोने वाली सरकारों में सम्मिलित नेता लोग उस रावण की निंदा करते हैं जिसके यहाँ का सुखेन वैद्य नाड़ी देखकर मूर्च्छित लक्ष्मण की बीमारी को न केवल पहचानने में सफल हो गया था अपितु औषधि के विषय में भी कह दिया था यदि ये मिल गई तो बच सकते हैं लक्ष्मण के प्राणआज के चिकित्सकों को इतना पता लगाने में महीनों लग जाते तब तक इलाज बदलते रहते जब तक रिपोर्टें आतीं !लक्ष्मण जी के पास समय इतना कम था आधुनिक चिकित्सा के बलपर लक्ष्मण जी के प्राण बचाना संभव हो पता क्या ?वेंटिलेटर तो रावण लगाने नहीं देता और न ही अपने यहाँ की लैब में जाँच ही होने देता !
    रावण सरकार की  चिकित्सकीय नैतिकता !
     सुखेन तो शत्रु के वैद्य थे फिर भी इतनी ईमानदारी से इलाज किया !जबकि आज अपने डॉक्टर अपने मरीजों की किडनियाँ निकाल लेते हैं !रोगी के मर जाने के बाद भी कई कई दिन वेंटिलेटर पर लिटाए रहते हैं केवल पैसे बनाने के लिए !
रावण सरकार और डेंगू बुखार -
    डेंगू एक विषाणु है जो मनुष्यों से मच्छरों में पहुँचता है या मच्छरों से मनुष्यों में इस बात का निर्णय किए बिना ही मच्छरों के विरुद्ध साजिश रचती रहती है सरकार और मच्छर मारने में कितनी बड़ी धन राशि खर्च कर दी जाती है पता नहीं !रावण के यहाँ के सुखेन वैद्य अब तक न जाने कब का डेंगू बुखार भगा चुके होते या फिर रावण लंका की सीमा में मच्छरों का प्रवेश ही रोकवा देता !किंतु नेता लोग करते धरती कुछ नहीं हैं रावण की निंदा कर लेना चाहते हैं बेचारे !
      पुरानी सरकारों के समय नियुक्त अधिकारी कर्मचारी वर्तमान सरकारों के विकास कार्यक्रमों की भद्द पीटा करते हैं ताकि इस सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार हो और उनकी पुरानी  वाली सरकार आ जाए तो और 10 -20 अयोग्य लोगों को घुसवा सकें सरकारी नौकरियों में इसीलिए अस्पतालों में स्कूलों में ट्रेनों में हर जगह दुर्घटनाएँ करवा रहे हैं सरकार के ही वे लोग सरकार उनसे तो निपट नहीं पा रही है उसके नेता रावण की निंदा करते घूम रहे हैं फोकट में !
    प्राइवेट मोबाइल सरकारी दूर संचार पर भारी पड़ रहे हैं प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों पर भारी पड़ रहे हैं सरकारी डाक को कोरियर पीटते जा रहे हैं सरकारी अस्पतालों को प्राइवेट नर्सिंग होम रगड़ते जा रहे हैं इसके बाद भी अपने काम काज में असफल नेता लोग रावण की निंदा करते रहते हैं !  
    ऐसे असफल रावणों से नीतिगत निवेदन -
    सरकारी हों या विरोधी हर नेता को रावण बुरा दिखता है बुराईयों पर अच्छाइयों की विजय बताता है दशहरा पर्व को !पुरखे बता गए थे इसलिए वो भो दोहराए जा रहा है !अरे कभी अपने कर्मों की ओर भी देखिए फिर रावण के साथ अपनी तुलना कीजिए तब तुम्हारी आत्मा तुम्हें स्वयं दर्पण दिखा देगी कि कितने जिम्मेदार हैं आप !
    रावण के ऐसे दुश्मनों में हिम्मत है तो रावण के कोई 5 दोष गिनावें और उन्हें रामायण से प्रमाणित करके दिखावें !अरे रावण बनने की चाह रखने वालो !रावण बन ही नहीं पाए इसलिए ईर्ष्यावश रावण की निंदा करने लगे तुम !
     निगमों के अधिकारी पहले अवैध काम करने या अवैध कब्जे करवाने के पैसे माँगते और लेते हैं इसके बाद लोगों की शिकायत पर उन्हें अवैध काम और अवैध कब्जे हटाने का नोटिश देते हैं फिर उन अवैध वालों को कोर्ट भेज कर स्टे दिला देते हैं इसके बाद हर महीना उनसे किराएदार की तरह वसूली किया करते हैं ऐसे घूस ले लेकर और स्टे दिला दिलाकर जिंदगी बिता देते हैं अफसरों को सैलरी से अधिक अवैध से कमाई हो जाती है इसलिए वो सरकारी बातों पर ध्यान ही नहीं देते ! ऐसी सरकारें चलाने वाले नेता लोग रावण की निंदा करते हैं ये उनकी बेशर्मी नहीं तो क्या है     
   रावण के इतना भाग्यशाली दृढ़सिद्धांत का व्यक्ति न कोई हुआ है और न होगा !
   नेताओं को इसमें बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय दिखती है किंतु पूछ दो कि रावण की कोई 5 बुराई प्रमाण सहित बताओ केवल कोरी बकवास नहीं !ऐसे प्रश्न सुनते ही दाँत निकल आते हैं !ऐसे लोग देश और समाज को क्या दिशा देंगे जिनका अपने प्राचीन ज्ञान विज्ञान के प्रति इतना थोथा अध्ययन हो या अध्ययन ही न हो !वे दो कौड़ी के लोग रावण को दोषी ठहराकर खुद राम के पक्ष में खड़े हो जाते हैं जिनके न चित्र में दम न चारित्र में ऐसे राजनैतिक समझदार लोग राजनीति के नाम पर केवल धोखा धड़ी करते घूम रहे हैं !अपने नाते रिश्तेदारों को चुनावी टिकट बाँटने वाले !पैसे वालों को टिकट बेच देने वाले !अफसरों से घूस मँगवाकर पैसे कमाने वाले रावण की बुराईयाँ करते घूम रहे हैं !अफसर चीख चीख कर कहते हैं कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है किंतु ऊपर वाले बोलने को ही तैयार नहीं हैं !     

   श्री राम और श्री रावण दोनों ही इस पृथ्वी पर एक ही प्रयोजन की पूर्ति के लिए आए थे दोनों का उद्देश्य सामाजिक बुराइयों  को समाप्त करना था !बुराइयोंके आ जाने पर बड़ा से बड़ा व्यक्ति नष्ट हो सकता है श्री राम ने इस बात का उपदेश किया और रावण ने इसी बात को चरितार्थ करके दिखा दिया कि बुराइयों से जब रावण जैसे महान पराक्रमी राजा का सर्वनाश हो सकता है तो हम लोगों को भी सुधरना चाहिए !    
  रावण को मारने के लिए स्वयं पधारे थे श्री राम इतना बड़ा सम्मान !ब्रह्मा स्वयं वेद पढ़ते थे !भगवान् शिव स्वयं पूजा करवाने जाया करते थे !वायु देवता बुहारी करते थे अग्नि देवता माली बने थे !षष्ठी कात्यायनी देवियाँ बच्चों का पालन पोषण करती थीं नवग्रह सीढ़ी बने हुए थे !
    माता जानकी का इतना बड़ा भक्त जिन्हें प्रणाम करके वो सुखी होता था ! "मन महुँ चरण बंदि सुख माना" माता सीता के लिए जंगल की वेदनाएँ उससे देखी नहीं गईं तो  उठा कर अपने यहाँ ले गया था !मैया ने कहा पिता बचन से हम नगर नहीं जा सकते तो "बन अशोक तेहिं राखत भयऊ !" रानियों को लगता था जैसे सभी नारियां रावण को देखकर मोहित हो जाती हैं वैसे ही सीता भी हो जाएँगी तो रावण ने कहा भारतीय नारियों के सतीत्व को कोई योद्धा पराजित नहीं कर सकता और न ही वो किसी से डरती हैं उनके लिए विश्व का साम्राज्य तुच्छ है यह दिखाने के लिए अपनी रानियों को पुष्प वाटिका ले गया था -
               तेहि अवसर रावण तहँ आवा !  
                 संग नारि बहु किए बनावा !!
    कोई किसी स्त्री को विवाह हेतु  राजी करने के लिए भीड़ लेकर जाता है क्या ?हमने रामायण को अपनी कलुषित दृष्टि से देख डाला ये अपराध हमने किया है  !इसमें रावण कहीं से दोषी नहीं है  जिसकी कमी श्री राम नहीं निकाल सके !गोस्वामी तुलसी दास जी नहीं निकाल सके उसे दोषी हम कैसे सिद्ध कर सकते हैं !
     रावण तो बहुत बड़ा विद्वान् पराक्रमी तपस्वी था !14000 स्त्रियों,लाखों परिजनों करोड़ों अनुयायियों का स्नेह भाजन था !इतने बड़े जान समूह का समर्पण प्राप्त कर लेना बहुत बड़ी बात थी रावण के जैसा संतान सुख आज तक किसी को हुआ ही नहीं ! पिता की अच्छी अच्छी बातों को बिना बिचारे ठुकरा देने वाला समाज ,पिता को वृद्धाश्रम भेज देने  समाज उस भाग्यशाली रावण की बराबरी कैसे कर सकता है जिस पिता की गलत  इच्छा की पूर्ति के लिए सब बलिदान देते चले गए किसी ने एक बार भी रावण से नहीं कहा कि आप पुनर्विचार कर लीजिए !
      
   रावण का पुतला ही  क्यों उसकी मॉं का क्यों नहीं ?

  एक बार शाम के समय रावण के पिता जी पूजापाठ संध्यादि नित्य कर्म कर रहे थे।उसी समय रावण की मॉं के मन में पति से संसर्ग  की ईच्छा हुई वह रावण के पिता अर्थात अपने पति विश्रवा ऋषि के पास पहुँची और  उनसे संसर्ग  करने की प्रार्थना करने लगी।यह सुनकर तपस्वी विश्रवाऋषि ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया किंतु वह हठ करने लगी अंत में विवश  होकर विश्रवा ऋषि  को  पत्नी की ईच्छा का सम्मान करते हुए उससे संसर्ग करना पड़ा जिससे  वह गर्भवती हो गई । यह समझ कर विश्रवा ऋषि  ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा कि देवी मैंने आपको रोका था कि यह आसुरी बेला है। इसमें संसर्ग नहीं करना चाहिए तुम मानी नहीं, अब तुम्हारे इस गर्भ से महान पराक्रमी राक्षस जन्म लेगा हमारा अंश  होने के कारण विद्वान भी होगा।इसी गर्भ से रावण का अवतार हुआ था।
      यह कथा प्रमाणित है। यदि यह बात सही है तो न्याय  यह है कि जब रावण के अवतार से पहले ही उसके राक्षस बनने की भूमिका बन चुकी थी जिसकी मुख्य कारण उसकी माता एवं सहयोगी पिता थे।उस समय रावण तो कहीं था  ही  नहीं  जब उसके राक्षस होने की घोषणा कर दी गई थी। अब कोई बता दे कि बेचारे रावण का दोष क्या था? 
   अपने को देवता मानने वाले पापी कलियुगी बेशर्मों को रावण का पुतला जलाने में उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती क्यों नहीं है?
      सिद्धान्त है कि गर्भाधान के समय माता पिता में जितने प्रतिशत वासना होगी  होने वाली संतान में उतने प्रतिशत रावणत्व होगा और जितने प्रतिशत  उपासना होगी उतने प्रतिशत रामत्व होगा।
      यह बात सबको सोचने की जरूरत है सबको अपने अपने अंदर झॉंकने की जरूरत है कि क्या हमारे बच्चे बासना से नहीं हो रहे हैं ?रावण के सारे बच्चे अपने पिता के इतने आज्ञाकारी थे कि पिता की गलत ईच्छा की बलिबेदी पर बेशक शहीद हो गए किंतु पिता की आज्ञा नहीं टाली। वे सब शिव भक्त और सब पराक्रमी थे सब वेदपाठी थे और सब परिश्रमी थे।
       आज अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज देने वाले लोग,शिव आदि देवताओं की पूजा से दूर रहने वाले घूसखोर आलसी लोग,रावण ने सीताहरण किया था बलात्कार नहीं, आज के बलात्कारी लोग कहॉं तक कहा जाए लुच्चे टुच्चे छिछोरे घोटालेवाज लोग रावण का पुतला जलाकर उसका क्या बिगाड़ लेंगे  इससे श्रीराम नहीं बन जाएँगे।अगर अपने घरों में धधकती प्रतिशोध की ज्वाला बुझा लो तो भी कल्याण हो सकता है। कुछ नचइया गवइया कथाबाचकों ने हमलोगों की बुद्धि कुंद कर दी है जिससे हम यह सोचने लायक भी नहीं रह गए कि अपने घरों का आचरण खाने पीने से पहिनना ओढ़ना बात व्यवहार आदि में श्रीराम बाद के पास तो नहीं ही रहे नीचता में रावण बाद को भी लॉंघ चुके हैं।
      हमारी भक्तराज रावण पुस्तक में यह विषय डिटेल किया गया है कि आपसे पैसे लूटने के लिए किसी साजिश  के तहत आपके मनों में रावण के पुतले के प्रति घृणा घोली गई है । आज श्रीराम वाद के  द्वारा  अपने एवं अपने परिवारों को सुधारने की जरूरत है !  
   बंधुओ ! आपको पता होगा कि रावण ज्योतिष का बहुत बड़ा पंडित था जिसके आधार पर वो भूत भविष्य वर्तमान जान लिया करता था !किंतु दुर्भाग्य से अनपढ़ लोग बिना कुछ जाने समझे ही रावण से घृणा करने लगे उसकी ज्योतिष आदि विद्वत्ता को समझ नहीं पाए!
   "बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का पर्व" बताया जाता है इसे किंतु बुराइयाँ किसकी रावण की !तो रावण की किन्हीं 5 बुराइयों को प्रमाण सहित कमेंट वाक्स में लिखें अन्यथा रामायण साहित्य को मन से पढ़ना शुरू करें कपोल कल्पित बातों के बल पर रामायण साहित्य को नहीं छोड़ा जा सकता !इसमें भी दिमाग लगाना चाहिए !विजय दशमी पर नेताओं को टिप्पणियाँ विश्वसनीय नहीं होती इन्हें तो बकना होता है कुछ भी बक कर चले जाते हैं किन्तु रामायण और प्राचीन विषयों पर शोध के लिए सरकार ने कोई ख़ास प्रयास नहीं किए !इस विषय में इनसे पत्रों के जवाब तो देते नहीं बनते ये राम मंदिर बनाएँगे हिन्दू राष्ट्र बनाने के सपने दिखा रहे हैं वे लोग जो हिन्दू संस्कृति या ज्ञान विज्ञान से जुडी बातों में रूचि नहीं लेना चाहते !

Monday, September 4, 2017

राजनैतिक पार्टियों के पास योग्य और ईमानदार नेताओं की शार्टेज क्यों हुई ?

    नौकरशाहों को क्यों दिलानी पड़ रही है मंत्री पद की शपथ !नौकरशाही से आयात किए जा रहे हैं नेता ! जो वहां नहीं कुछ विशेष कर पाए वे यहाँ ....... !
      नौकर शाहों  को मंत्री बना बना कर काम चला रही है पार्टियाँ !किंतु नौकर शाहों में इतनी ही क्षमता होती तो जहाँ वहीँ कुछ तो चमत्कार किया होता  !देश का बेड़ा गर्क अफसरसाही ने ही किया है जो वहां नहीं कुछ कर पाए वो रिटायर्ड लोग यहाँ क्या कर पाएँगे !फिर भी ईश्वर करे वो भी कुछ तो करें !
    वस्तुतः राजनीति सेवा कर्म है यहाँ हर कोई फिट नहीं बैठ सकता इसमें शैक्षणिक योग्यता अनुभव सेवा भावना और राष्ट्रसमर्पण की भावना स्वाभाविक हो !ऐसी प्रतिभाओं की देश में कमी नहीं है किंतु उनमें धोखाधड़ी के वो दुर्गुण नहीं हैं जिन्हें वर्तमान राजनीति पसंद करती है सुशिक्षित और सुयोग्य लोगों को राजनीति में घुसने ही नहीं देते हैं लोग !फैक्ट्री मालिकों की तरह पार्टियों के मुखिया चलाया करते हैं पार्टियाँ बेचा करते हैं टिकटें अपने बेटा बेटी आदि को लड़ाया करते हैं चुनाव !
 ऐसी पक्षपाती लापरवाही से नेता बन जाने वाले अयोग्य लोग संसद आदि सदनों में जाकर क्या करें मोबाइल पर मूवी  देखकर कहाँ तक समय पास करें हुल्लड़ कितना मचावें ! कुर्सियों पर सोकर कितना समय पास करें !चर्चा करने और समझने की उनमें योग्यता नहीं होगी तो उनका मन ही नहीं होगा वहाँ जाने का !PM साहब कहते हैं सदन में उपस्थित रहो किंतु जब ऐसे लोगों को टिकट ही नहीं देते जो सदनों की चर्चा में सम्मिलित होने का साहस रखते हों तो फिर सरकारें अकर्मण्य ,कर्मचारी घूसखोर होंगे ही !अपराध और असंतोष बढ़ेगा ही !मंत्री क्या काम करेंगे ख़ाक !अयोग्य लोग सदनों में पहुँचकर भी हुल्लड़ न मचावें तो क्या करें !
     देश की जनता अपनों को खोज रही है किंतु दुर्भाग्य से इस सरकार में भी अपने कहाँ हैं जिन नेताओं के दरवाजे जाओ वे मिलें न  मिलें !बात करें न करें !बात भी करें तो झूठे आश्वासन देते रहें !
   प्रायः सांसदों  की आफिसों में बैठाया गया स्टाप बेलगाम झूठ बोल रहा होता है और झूठे आश्वासन देकर लौटा दे रहा है जनता को !भ्रष्टाचार से पीड़ित कुछ लोग तो छोटे छोटे कामों के लिए  सांसदों के यहाँ  कई कई महीनों या साल भर से चक्कर लगा रहे हैं किन्तु अभी तक सांसद  उनसे मिल नहीं पाए हैं और न ही स्टॉप जनता के काम आ रहा है !कुछ लोग अच्छे भी हैं किन्तु ऐसे हृदय विहीन नेताओं सांसदों विधायकों ने उनकी भी भद्द पिटवा रखी है | 
    चुनाव जीते हुए जनप्रतिनिधियों ने तो कसम खा रखी है कि हम केवल उन्हीं से मिलेंगे जो या तो हमें टिकट दिलवा सकता है या कटवा सकने की क्षमता रखता है !अथवा फिर जो हमें चुनाव जितवा या हरवा सकता है बाकी आम लोगों को वो जीवित समझते ही कहाँ हैं !जिन नेताओं का ऐसा वर्ताव हो उनकी पार्टी के शीर्ष नेता राम राज्य ले आने के झूठे सपने परोसते जा रहे हैं जनता को !अब ऐसी बातों से जनता भी घृणा करने लगी है|स्थिति यदि यही रही तो 2019 को सरकारी सांसद ही डुबा देंगे !सरकार का कपोलकल्पित रामराज्य रखा का रखा रह जाएगा !
    बड़े बड़े उद्योगपति अपने उद्योग चलाने के लिए सुशिक्षित योग्य प्रतिभाओं को उनके शिक्षण संस्थानों से अपने उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए ले आते हैं चूँकि उनका सपना कम्पनी  की तरक्की करना होता है !किंतु राजनीतिज्ञों को राजनैतिक पार्टियों के लिए प्रतिभाओं की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है क्यों ?  
    अरे घमंडी नेताओ ! देश की प्रतिभावों का रास्ता रोके क्यों खड़े हैं आप ?उनकी योग्यता उदारता सेवा भावना एवं राष्ट्र समर्पण को देश के काम आने दो !उन्हें करने दो राजनीति वे भ्रष्टाचार समाप्त करके दिखा देंगे !अन्यथा यही होगा जो हो रहा है जो योग्य नहीं वो योग्यता किससे उधार माँगें और जो ईमानदार नहीं वो पुरानी आदतें कैसे छोड़ें ! जो घमंडी जनता की फर्याद सुनने के नाम पर जनता को बुला तो लेते हैं किंतु सीधे मुख बात नहीं करते हैं जनता से !जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की भारी कमी है !
       शैक्षणिक योग्यता अनुभव सेवा भावना और राष्ट्रसमर्पण की भावना से लोकतंत्र की रक्षा करने की क्षमता !जनतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है जनता ही परेशान  रहे तो काहे का लोकतंत्र !समाज के साथ पक्षपात विहीन भावना से प्रत्येक व्यक्ति का विकास जैसे कर्तव्य का पालन करने वाला सुयोग्य नेता होना चाहिए  !
       इस जरूरी लेख को  जरूर पढ़ें -

नौकरशाहों को मंत्रीपद, क्या मोदी के नेता योग्य नहीं?

Friday, September 1, 2017

मंत्री बदलने से क्या होगा ! दूध तो गाय देती है बैल नहीं !किंतु बैलों को दुहकर दूध निकालना चाहती है सरकार ! बदल बदलकर दुहने से वे दूध देने लगेंगे क्या ?

   साक्षर भारत की बातें अनपढ़ नेताओं के मुख से अच्छी लगती हैं क्या?उच्चशिक्षित अधिकारियों कर्मचारियों से अशिक्षित या अल्पशिक्षित नेता लोग काम कैसे ले पाएँगे !उन्हें बेवकूफ बनाते रहते हैं अधिकारी !
  पार्षद विधायक सांसद तथा मंत्री आदि के लिए प्रत्याशी बनाते समय उनके लिए  उच्च शैक्षणिक  योग्यता अनिवार्य क्यों न की जाए !
     संसद आदि सदनों में अयोग्य लोग जाकर क्या करें मोबाइल पर मूवी कहाँ तक देखें कुर्सियों पर सोकर कितना समय पास करें !चर्चा करने और समझने की उनमें योग्यता नहीं होगी तो उनका मन ही नहीं होगा वहाँ जाने का !PM साहब कहते हैं सदन में उपस्थित रहो किंतु जब ऐसे लोगों को टिकट ही नहीं देते जो सदनों की चर्चा में सम्मिलित होने का साहस रखते हों तो फिर सरकारें अकर्मण्य ,कर्मचारी घूसखोर होंगे ही !अपराध और असंतोष बढ़ेगा ही !मंत्री क्या काम करेंगे ख़ाक !अयोग्य लोग सदनों में पहुँचकर भी हुल्लड़ न मचावें तो क्या करें !
   जैसे नौकरी पाने के लिए लोग परिश्रम पूर्वक शैक्षणिक योग्यता हासिल करते हैं वैसे ही जिन्हें राजनीति में आना होगा वो भी शैक्षणिक योग्यता हासिल करेंगे !ऐसे तो केवल प्रसिद्ध पुरुष ही नेता बनपाते हैं वो योग्य हों या अयोग्य !प्रसिद्धि अच्छे कामों की अपेक्षा बुरे कामों से अधिक मिलती है !प्रसिद्ध होने के लिए नेता लोग अक्सर अपराधों का सहारा लेते हैं !बाद में वे सारे केस वापस हो जाते हैं !
     भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कहती सब कुछ है किंतु करती कुछ नहीं है इसका मतलब क्या समझा जाए सरकार सम्मिलित है भ्रष्टाचार में !अन्यथा सुपुष्ट कार्यवाही करे सरकार ? 
    अवैध कामकाज या सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे रोकने की जिम्मेदारी जिन अधिकारी कर्मचारियों  की है सरकार उनसे पूछती क्यों नहीं है कि ये हुए कैसे ?इन्हें ही रोकने के लिए तो तुम रखे गए थे और तुम्हें सैलरी दी जाती है किंतु जब तुम रोक नहीं पाए क्यों ?तुरंत यदि पता नहीं ला पाए थे तो बाद में ही हटवा देते !और यदि ऐसा करने में आप सफल नहीं हुए तो आपको बिना काम किए दी गई आज तक की सैलरी वापस क्यों न ली जाए !और आपको नौकरी पर रखा क्यों जाए !
    उनसे पूछे कि आपमें योग्यता नहीं है या आप जिस काम को करने के लिए रखे गए हैं उसके बारे में आपको  पता नहीं हैं !या फिर आप इतने आलसी हैं कि अपनी जिम्मेदारी निभाना नहीं चाहते या फिर आप घूस लेकर अवैध कामकाज करने की सहमति देते हैं आखिर क्या माना जाए !
   सरकार को यह भी पूछना चाहिए कि इतनी सभी गलतियों के बाद भी हम आप पर कार्यवाही क्यों न करें हम तो आपसे घूस नहीं लेते हैं आखिर हम चुप कैसे बैठें और आपको सैलरी देने के लिए किस मुख से जनता से टैक्स माँगे !जिनसे आप काम करने की घूस ले ही लेते हैं वे हमें टैक्स क्यों दें या उनसे टैक्स लेना उनके साथ अन्याय नहीं है क्या ?समय पर ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने के लिए ही उनसे टैक्स लिया जाता है !
      सरकार उनसे कहे कि आप अवैध जमीनों पर कब्जे करवा देते हो पैसे तुम खा जाते हो व्यापार वो अवैध काम करने वाला चमका लेता है और परेशान वो जनता होती है जिसे ईमानदार सेवाएँ प्रदान करने के लिए सरकार टैक्स लेती है | 
      अवैध काम करने वालों से घूस लेकर आप उनकी मदद करते हो उससे पीड़ित यदि कोई पक्ष कही शिकायत करता है तो आप इसकी सूचना उस अवैध काम करने वाले को देकर शिकायत कर्ता पर हमले करवा देते हो ऐसी परिस्थिति वो चुप बैठ जाता है इसके बाद उसके बगल में चाहें अवैध हथियार बनें या आतंकवादी रहते रहें या अन्य कोई कितना भी जघन्य अपराध होता रहे उसकी सूचना कोई भी पड़ोसी सरकार को क्यों दे !सरकार के खुपिया तंत्र को फेल करने और जनता का विश्वास तोड़ने के लिए और दिनों दिन बढ़ते अपराधों के लिए आपको जिम्मेदार क्यों न माना जाए ! ऐसी परिस्थिति में छोटे बड़े सभी प्रकार की आपराधिक घटनाओं के लिए अपराधियों से अधिक जिम्मेदार आपको क्यों न माना जाए |   
   आप तो घूस लेकर सारे अवैध कामकाज करवाते जा रहे हैं और यदि घूस ले ही रहे हैं तो आप को सैलरी क्यों दे सरकार ?
   ये सरकार बतावे कि ऐसे प्रश्न जनता के मन में हैं इसका उपाय किए बिना ऐसे विभागों के संचालन के लिए एवं सम्बद्ध अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए जनता से टैक्स  क्यों वसूला जाता है !यदि ये मान भी लिया जाए कि ऐसी लापरवाहियों में सरकार सम्मिलित नहीं है तो जहा जो अवैध काम काज किए जा रहे हैं या जिसके कार्यकाल में शुरू किए गए ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों को कानून विरुद्ध काम होने देने के लिए दोषी क्यों न माना जाए !ऐसी घटनाएँ उनकी अकर्मण्यता को प्रमाणित करती हैं इसके बाद भी सरकार उन पर कार्यवाही किए बिना उन्हें आज तक दी गई सैलरी रिफंड लिए बिना उनका बोझ ढोने के लिए जनता को मजबूर क्यों करती है ?
    जिन जिन क्षेत्रों में जिन जिन विभागों से संबंधित जो अवैध कामकाज होते हैं वो उस विभाग से संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की सहमति के बिना नहीं किए जा सकते हैं वो उनसे दैनिक या सप्ताह या महीने के हिसाब से वसूली किया करते हैं | 
   अवैध मोबाईलटॉवर सैकड़ों की तादाद में पूरी दिल्ली में लगे हैं उन्हें रोकने के लिए अधिकारी कर्मचारी भी रखे गए हैं उन्हें अच्छी खासी सैलरी देती है सरकार ! वही अधिकारी कर्मचारी घूस लेकर लगवाते जा रहे हैं अवैध मोबाईल टॉवर !जनता उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती है और सरकार उन पर अंकुश नहीं लगाती है !इसका मतलब या तो सरकार भी भ्रष्ट है सरकारों में सम्मिलित लोग भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों से अपना हिस्सा लेकर चुप बैठ जा रहे हैं या फिर लापरवाह हैं या फिर उन पर अंकुश लगाने में डरते हैं या फिर उन्हें लगा करता है कि हम तो 5 वर्ष के ही शेर हैं इसके बाद तो इन्हीं के आगे पीछे घूमना है इसलिए क्यों इनसे व्यवहार बिगाड़ना ! कुछ लोगों का मानना है कि अधिकारियों कर्मचारियों में शैक्षणिक योग्यता अधिक होने और जन प्रतिनिधि में शैक्षणिक योग्यता कम होने के कारण हीन  भावना  के शिकार मंत्री मुख्यमंत्री विधायक सांसद आदि जैसे ही अंकुश लगाने लगते हैं तैसे ही वो उन्हें फँसा देने की धमकी दे देते हैं धीरे धीरे उसी भ्रष्टाचार में वे भी सम्मिलित हो जाते हैं | इसके बाद ये जानते हुए भी सरकारी अधिकारियों कर्मचरियों के मन में हमारे दिए हुए लेटर्स का कोई महत्त्व नहीं है और न ही उनसे कुछ होगा इसके बाद भी अपनी अपनी आफिसों में जनता दरवार लगाया करते हैं यदि वे खुद ईमानदार हों तो अपने क्षेत्र में आने वाले विभागों से साफ साफ कह दें कि आप लोग घूस के पैसों से हमारा हिस्सा हमें मत भेजा करो किंतु जनता के काम समय से कर दिया करो ताकि सिफारिस के लिए जनता हमारे पास न आवे !जिस दिन जिस जन प्रतिनिधि के पास सिफारिस के लिए जनता आना बंद कर दे उस दिन समझ लिया जाना चाहिए कि जनप्रतिनिधि अपने दायित्व का निर्वाह करने में सफल है !
    इसके विरुद्ध सरकार को उन पर कार्यवाही करनी चाहिए किंतु सरकार भ्रष्टाचार विरोधी बिल पास करने में तो लगी है किंतु भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कहती सब कुछ है किंतु करती कुछ नहीं है क्यों ?!ध्यान भटकाना नहीं तो क्या है अन्यथा डंके की चोट पर चल रहा यह भ्रष्टाचार  सरकार को दिखाई क्यों नहीं पड़ता है !इसके विरुद्ध कार्यवाही करने में सरकार को हिचक क्यों हो रही है यदि घूस का पैसा ऊपर तक नहीं जाता है तो !
     जिन कामों को जहाँ करने का लाइसेंस जिन विभागों से लेना होता है वो विभाग यदि उन कामों को गलत मानकर लाइसेंस नहीं देते हैं तो उन कामों को होने भी नहीं दिया जाना चाहिए यदि होते हैं तो उन्हें रोकने की जिम्मेदारी सँभालने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही इसलिए की जानी चाहिए क्योंकि वो उनसे घूस लेकर होने दे रहे हैं वे अवैध काम !अन्यथा वो ऐसा होने ही नहीं देते !सरकार उन अधिकारियों कर्मचारियों से आज तक की सैलरी वापस ले !आखिर वो जिस काम के लिए रखे गए थे जब वो किया ही नहीं तो सैलरी किस बात  की !सरकार यदि ऐसा नहीं करती तो सरकार भी सम्मिलित मानी जानी चाहिए !तभी तो कहा जाता है कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है !
    जनता जिन्हें सैलरी देने के लिए टैक्स देती है काम करवाने के लिए उन्हीं को  देनी पड़ती है घूस ! सरकार कहती है भ्रष्टाचार कहाँ है !अधिकारियों कर्मचारियों से सरकार को पहले ही ये तय क्यों नहीं कर लेना चाहिए कि सैलरी के पैसों में ही आपको करने होंगे जनता के काम !
    पुलिस का तो हफ़्ता महीना आदि बनता भी है क्योंकि  सरकार ने उसे चाँटा मारने गाली गलौच आदि जनता की बेइज्जती करने का अघोषित अधिकार जो दे रखा है !उन्हें यदि पटाकर नहीं रखा जाएगा तो जनता की सुरक्षा करना पुलिस के बस का हो न हो किंतु जनता की बेइज्जती करना उन्हें आता है किसी का काम बनाना वो जानते हों न जानते हों किन्तु किसी को बर्बाद करना उन्हें आता है जनता इसी के उन्हें पैसे देती है ताकि वो बेइज्जती न करें और चलते काम में रोड़ा न अटकावें !
     पोस्टमैन चिट्ठी देने आने के लिए पैसे माँगते हैं MCD वालों को तो जब पैसों की जरूरत होती है तब वो गिरोह बना बना कर निकल पड़ते हैं किसी के चबूतरे तोड़ते हैं किसी के छज्जे किसी का काउंटर तोड़ डालते हैं लोग माल पानी ले लेकर पहुँचने लगते हैं !निगम का तो लक्ष्य ही घूस खोरी  से धन कमाना होता है अन्यथा जिस काम को गलत मानकर वो उसकी परमीशन नहीं देते हैं फिर उसी काम को बिना परमीशन के ही होने देते हैं इसका मतलब फ्री में होने देते हैं क्या ?जब उसके पैसे बढ़ने होते हैं तब ठाड़े तोड़ आते हैं पैसे बढ़ा लेते हैं तो फिर होने देते हैं !किंतु ऐसी खुली लूट को देखने  सुनने को कोई तैयार ही नहीं है जनता यदि इनके कुकर्मों का विरोध करे तो ये गलत काम करने वालों को स्टे दिलवाकर उसकी पैरवी ही नहीं करते केवल खाना पूर्ति करते रहते हैं और वो अवैध काम वैध से ज्यादा अच्छे ढंग से चल रहे होते हैं !
      टैक्स क्यों दिया जाए ?जनता जिन्हें सैलरी देने के लिए टैक्स देती है उन्हीं से काम कराने के लिए देनी पड़ती है घूस !
    जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियाँ न समझने वाले सांसदों विधायकों पार्षदों अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी का बोझ जनता पर और  जनता को ही ठेंगा दिखावें ये लोग !बारे लोकतंत्र !!
    सरकारी काम काज और राजनीति दोनों सेवा कहे  जाते हैं किंतु सेवा में सैलरी तो होती नहीं है किंतु यहाँ तो सैलरी भी है सेवा भी ये है सरकारी चमत्कार !
     पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट्स हैं 57 फिट ऊँची है 50 फिट के ऊपर बनाना मना है किंतु 57 फिट ऊँचाई होने के बाद भी उसपर 30 फिट  ऊँचा मोबाइल टावर लगा दिया गया है जिसकी सहमति EDMC से ली नहीं गई है फ्लैट में रहने वालों से भी कोई सहमति नहीं ली गई है !ये टावर पिछले 12 वर्षों से चल रहा है !किराया इस बिल्डिंग में रहने वाले किसी को मिलता नहीं है आखिर इतने बड़े भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार कौन है !संबंधित सभी विभागों में शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ क्यों ?
  इसमें रहने वाले अधिकाँश लोग AC चलाते हैं चोरी की बिजली से मीटर चलता नहीं है घूस लाइन मैन  को दे देते हैं !शिकायत करने पर वो कहता है कि हो सकता है वो AC न चलाते हों !बिना AC वालों के बिल हजारों में और AC वालों के सैकड़ों में ये है घूसखोरी का कमाल !यही स्थिति पीने वाले पानी की है !कोई कहीं भी छेद  करके कनेक्शन लगा देता है !जो छेद खुले छोड़ देता है उसमें या तो नालियों का गन्दा पानी भरता है या फिर बिल्डिंग के बेस मेन्ट में भरा करता है पीनेवाला पानी !जिससे बिल्डिंग कमजोर होती है और पीने वाला पानी बर्बाद होता है अलग से !
    रिहायसी  बिल्डिंग होने के बाद भी उसमें  ब्यूटी पार्लर क्यों खोलने दिया गया फिर साइन बोर्ड ब्यूटी पार्लर और देह व्यापार दोनों एक हैं क्या ऊपर से नशे का कारोबार !ऐसी परिस्थितियों से समाज का कितना बड़ा नुक्सान होता होगा बच्चे बिगड़ते हैं युवा बिगड़ते हैं फिर भी निगम से लेकर हर जिम्मेदार विभाग तक सप्ताह महीना वर्ष आदि के हिसाब से घूस जाती होगी !ऐसी परिस्थिति में जो कम्प्लेन करे उसका साथ वो प्रशासन क्यों देगा जो अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित है ऊपर से वही घूस खोर सरकारी मशीनरी के लोग कम्प्लेनर को ही कुटवा देते हैं !ऐसी परिस्थिति में  स्वच्छ प्रशासन देने की बात सरकार कैसे कर सकती है | ये स्थिति जब राष्ट्रीय राजधानी की लालक्वॉर्टर जैसे में मार्किट की है तो बाकी सारे  देश में क्या कुछ नहीं हो रहा है ये कल्पना की जा सकती है | बलात्कार नशा सप्लाई आदि में जब ऐसी संलिप्तता सरकार के अपने लोगों की होगी तो ऐसे अपराधों को रोकने के नारे लगाने बंद कर देने चाहिए सरकारों को !